हनुमान के नहीं हुए राम, लोजपा कोटे से पशुपति कुमार पारस को केंद्र में बनाया मंत्री

न्यूज़ डेस्क : केंद्रीय मंत्रिमंडल में हुए विस्तार के साथ ही बिहार में लोकजनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि लोजपा में फूट के सूत्रधान चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस को मंत्री पद का तोहफा मिलने जा रहा है। इस पूरे मामले एक बात खास है वो ये कि प्रधानमंत्री मोदी के ‘हनुमान’ कहे जाने वाले चिराग की किसी ने सुध नहीं ली।

 

 

 

 

लोकजनशक्ति पार्टी में फूट डालकर चिराग पासवान की राजनीति में अंधेरा करने वाले उनके चाचा पशुपति पारस को मंत्री पद का तोहफा मिल गया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की जगह मोदी की नई टीम में अब पशुपति कुमार पारस की इंट्री तय हो गई है। मोदी की टीम से चिराग पासवान को बाहर निकालने के लिए जहां यह एक तरफ मोदी सरकार की तरफ से पशुपति पारस को दिया गया ईनाम है, तो दूसरी तरफ चिराग के लिए इसे एक संदेश माना जा रहा है। 

 

 

 

पशुपति पारस बिहार के हाजीपुर से सांसद हैं। वे लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान के छोटे भाई हैं। पहले नीतीश सरकार में बिहार के पशु एवं मतस्य संसाधन मंत्री भी रह चुके हैं। वे दो बार बिहार विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। 

 

 

चिराग के हाथ में पार्टी की बागडोर आने से नाराजगी

अपने भाई रामविलास पासवान की छत्रछाया में रहकर अपनी राजनीति शुरु की और जब तक उनके भाई जीवित रहे उनके हिसाब से ही चलते रहे। लेकिन बताया जाता है कि जब रामविलास पासवान ने पार्टी की बागडोर चिराग के हाथों में सौंपी तो उसके बाद से ही पशुपति पारस अनमने से हो गए। उन्हें चिराग की अगुआई में काम करना रास नहीं आ रहा था। 

 

 

 

कई मुद्दों पर उनके बीच मनमुटाव होता रहा। बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश सरकार को समर्थन देने के मुद्दे पर दोनों में टकराव बढ़ा और मौका पाते ही उन्होंने पार्टी में बगावत कर दी और अपना गुट लेकर चिराग से अलग हो गए। पशुपति अपन साथ एलजेपी के अन्य 4 सांसद भी ले आए और चिराग को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा दिया। 

 

 

 

लोजपा में फूट डालने के साथ ही एनडीए को दिया समर्थन

लोजपा संसदीय दल के नए नेता  पशुपति पारस ने लोजपा में फूट डालने के साथ ही बिहार की एनडीए की सरकार को अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि वे एनडीए के साथ हैं और रहेंगे।  गौरतलब है कि लोजपा पहले ही मोदी मंत्रिमंडल का हिस्सा रही है, जिसका प्रतिनिधित्व अब तक रामविलास पासवान करते आ रहे थे। 

 

उनकी मृत्यु के बाद चिराग पासवान को यह उम्मीद थी कि उन्हें मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी, लेकिन जिस तरह चिराग ने बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश का विरोध किया था उसे देखते हुए यह आसानी से समझा जा सकता है कि आखिर क्यों चिराग की जगह पशुपति पारस मंत्री बनाए जा रहे हैं। 

 

 

 

लोजपा कोटे से मोदी मंत्रिमंडल में एक जगह खाली थी जिसे चिराग को देकर भाजपा नीतीश कुमार को नाराज नहीं करना चाहती थी, क्योंकि चिराग ने बीते साल बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू को बहुत नुकसान पहुंचाया है।  कहा तो यह भी जाता है कि लोजपा में फूट के पीछे की असली पटकथा जदयू ने ही लिखी थी कि ताकि चिराग के राजनीतिक भविष्य को अनिश्चितकाल के लिए अंधेरे में डूबा दिया जाए।

 

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