जनवरी 2020, इंदौर: मलाला युसुफजई जिसे नोबोल शांति पुरस्कार मिला उसकी परेशानी केवल एक देश तक ही सीमित नहीं बल्कि हर देश, समाज की है। दुनिया में कई मलाला हैं जो शिक्षा के अधिकार से, अपने सपनों को पूरा करने से दूर हैं। इसी बात को हमने इस फिल्म से दिखाने का प्रयास किया है। यह कहना है गुल मकाई फिल्म के निर्देशक एच ई अमजद खान का जो 31 जनवरी को प्रदर्शित होने वाली अपनी इस फिल्म के प्रमोशन के लिए सोमवार को इंदौर आए थे।
फिल्म के बारे में अमजद खान ने कहा कि- यह फिल्म पाकिस्तान की राजनिती, वहां के हालात, उनके फंडामेंटल, लोगों की स्थिति और उन पर होने वाले जुल्मों को भी दर्शाती है। इस फिल्म के माध्यम से हम यही बताना चाहते हैं कि हर घर से होनहारों को आगे बढ़ने का मौका दिया जाए। इस फिल्म के जरिए यह बताया गया है कि जब एक लड़की शिक्षा के लिए दुनिया से लड़ सकती है, वह घबराई नहीं तो हम क्यों डरें। फिल्म को लेकर मुझे कई धमकियां भी मिली पर मैं नहीं डरा। खास बात तो यह है कि फिल्म निर्माण से पहले हमने मलाला या उसके परिवार से एक बार भी मुलाकात नहीं की और जब फिल्म बनने के बाद उन्हें दिखाई तो उन्हें यह पसंद भी आई। तथ्यों, हालातों, किरदारों का हमने बारीकियों से ध्यान रखा। फिल्म लेखन के लिए पाक संबंधी जानकारियां जुटाने में लेखक भाषवती चक्रवर्ती को साढ़े चार साल का वक्त लगा।
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