CCGCA एव अन्य प्रोफेशनल द्वारा दी जाने वाली सेवा पर GST का प्रभाव , जाने
GSTC में कोई भी बेसिक exemption या छुट की कोई सीमा नहीं है मतलब कोई थ्रेशहोल्ड लिमिट टैक्स लायबिलिटी के लिए नहीं है सिर्फ १९-२० लाख की थ्रेशहोल्ड लिमिट रजिस्ट्रेशन के लिए है जैसा की वर्तमान में सर्विस टैक्स पर १० लाख की है और आयकर में २.५० लाख की है कई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को एक्साइज में 1.५० करोड़ की थी. सेवा पर रेसीडूल सेवा के अंतर्गत १८% की GST दर है.
GST में २० lakh की सीमा रजिस्ट्रेशन की बाध्यता के लिए के लिए है ना की टैक्स से छुट के लिए है जैसे ही आप रजिस्ट्रेशन कराते है तो आपको रजिस्ट्रेशन कराते ही 1 रुपये की फीस की आय से ही GST कलेक्ट करके भरना है रजिस्ट्रेशन जो की निम्न परिस्थिति में आटोमेटिक कंपल्सरी हो जायेगा भले ही आप २० लाख की सीमा के अन्दर है २० लाख की सीमा एक दिखावा है क्यों की ऐसे ऐसे पॉइंट से इसे बाँधा है की आपको रजिस्ट्रेशन लेना एक मजबूरी हो जाएगी जिसमे रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म का बड़ा योगदान है. रिवर्स चार्ज कांसेप्ट ने सभी को करीब करीब GST के दायरे में ले लिया है
- धारा 24(1) के अंतर्गत यदि आपने कोई सेवा प्रदेश के बाहर दी है मतलब किसी एक प्रदेश के बाहरी व्यक्ति का return भरते ही आपको रजिस्ट्रेशन कराना है. बैंक ऑडिट के केस में देखे की MP में बैंक ने GST न. लिया है या नहीं. ऐसे केस में क्लाइंट का बिल लोकल प्रदेश के एड्रेस का देवे.
- यदि आप किसी को २.५० के ऊपर की सेवा देते है तो उसे टीडीएस काटना पड़ेगा और TDS काटने के लिए उसे GSTIN न. देना पड़ेगा. हालांकि ये कंडीशन भुगतान करने वाले पर लागु होती है.
- यदि आप कोई सेवा किसी अन्य से लेते है और वह रिवर्स चार्ज के अंतर्गत आती है
अब बात आती है की यदि आप रजिस्टर्ड हो कर सेवा देते है तो आपको ३० दिन के अन्दर इनवॉइस इशू करना है और टैक्स अपनी जेब से भरना है क्यों की पेमेंट सामान्यतया हाथो हाथ आता नहीं है. ये एक प्रैक्टिकल बड़ी समस्या है.हा यदि क्लाइंट १८० दिन में पेमेंट नहीं देगा तो उसने जो आपके इनवॉइस पर इनपुट क्रेडिट लिया है वह उसे वापिस करने की बाध्यता से पेमेंट करना पड़ेगा.
सरकार ने इसमें रिवर्स चार्ज का फंडा डाला है जिससे २० लाख की लिमिट का मतलब नगण्य सा हो जाता है क्यों की आप जिनको सेवा दे रहे है वो यदि रजिस्टर्ड है और आप अन रजिस्टर्ड है तो उन्हें तो रिवर्स के अंतर्गत टैक्स भरना है जिसकी उनको इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल जाएगी.
इन परिस्थितियो को देखते हुए एक छोटे प्रोफेशनल को रजिस्ट्रेशन कराना चाहिए या नहीं. मेरी राय में जैसा की कोई रजिस्टर्ड व्यक्ति आपकी सेवा लेता है तो दोनों परिस्थिति में उसे इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगी(आप रजिस्टर्ड है या अन रजिस्टर्ड है तो रिवर्स चार्ज के अंतर्गत) मतलब सेवा लेने वाले रजिस्टर्ड व्यक्ति को कोई फरक नहीं पड़ेगा की आप रजिस्टर्ड है या नहीं . उसको तो दोनों परिस्थिति में सेवा पर टैक्स भरना ही है लेकिन यदि आप छोटे प्रोफेसनल है तो रजिस्ट्रेशन नहीं लेने में फायदा है क्यों इस परिस्थिति में आपके जो छोटे क्लाइंट है जो रजिस्टर्ड नहीं है उन्हें GST नहीं भरना पड़ेगा. और आप स्वय सेवा देने के ३० दिन के अन्दर टैक्स भरने से भी बच जायेंगे जिससे हम छोटे लोगो को GST की लायबिलिटी से भी बचायेंगे जो की सरकार का उद्देश्य है.
सीए भरत नीमा
Comments are closed.