रिफंड GST में क्या होता है इसे जानना जरुरी है
यहाँ जो ‘नील’ रेट का सप्लाई है उसे ऐक्सेम्पट सप्लाई 2(47) की परिभाषा में लिया गया है
दो तरह के रिफंड हो सकते है पहला वह रिफंड जो हमने नगदी भरा है जो की इलेक्ट्रॉनिक केश लेजर में जमा किया है इसमें से कोई भी रिफंड ले सकता है क्यों की ये अमाउंट आपने ही नगदी भरा है इसका रिफंड रेगुलर return के अंतर्गत ही मिल जायेगा (GSTR-3,पॉइंट 14)
लेकिन लेकिन दूसरा रिफंड वह है जो आपको इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर में से लेना है ये क्रेडिट जो आपने मॉल ख़रीदा था उस पर जो टैक्स आपने बेचवाल को दिया था जिसे हम इनपुट टैक्स क्रेडिट कहते है वह, और जो हमने बेचा है उस पर जो टैक्स लायबिलिटी आई है उसका अंतर का जो बैलेंस बचता है उसका रिफंड का क्या होगा. इसमें से रिफंड सम्मान्यातया नहीं मिलेगा सिर्फ एक्सपोर्टर,sez को सर्विस और गुड्स दोनों के लिए , डीम्ड एक्सपोर्ट को केवल गुड्स के लिए,(डीम्ड एक्सपोर्ट में यदि सर्विस दी है तो रिफंड की पात्रता नहीं रहेगी,पात्रता केवल गुड्स के लिए रहेगी) UNI को, उसे जिनका खरीदी पर टैक्स ज्यादा है और बेचने पर टैक्स रेट कम है (लेकिन जो ‘नील’ रेट की आइटम की
बिक्री में आते है ,उनको रिफंड नहीं मिलेगा और कुछ परिस्थिति में जैसे रिफंड क्लेम किया और ऑफिसर ने गलत मानकर रिफंड नहीं दिया तो यह फण्ड कंसुमर वेलफेयर फण्ड में ट्रान्सफर हो जायेगा मतलब व्यापारी का क्रेडिट डूब जायेगा. व्यापारी को सुनवाई का मौका मिलेगा.
५४(1)रिफंड रेलेवेंट डेट से दो साल खत्म होने के पहले क्लेम करना होगा जो की केश एंड क्रेडिट लेजर में जो बैलेंस है उस राशी के लिए रहेगा. ५४(२) UNI को आखरी क्वार्टर जिसका return भरा है उससे ६ माह के अन्दर रिफंड क्लेम करना है यदि कोई डिमांड बाकि है और स्टे नहीं लिया है या उसने कोई सा भी return भरने में डिफ़ॉल्ट किया तो ऑफिसर रिफंड का अमाउंट रोक (विथहोल्ड) कर सकता है
अब अन यूटीलीसड इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिफंड नहीं मिलेगा निम्न को छोड़कर .(अब प्रत्येक माह के बाद भी रिफंड माँगा जा सकता है) लेकिन इसकी कुछ कंडीशन है जिसमे रिफंड मिलेगा
जैसे व्यक्ति ने जीरो रेटेड गुड्स(नाट एक्सेम्प्ट मतलब जो गुड्स ‘नील” रेट में बेचते है उन्हें रिफंड ITC का नहीं मिलेगा , मतलब डूब जायेगा ) सप्लाई किया है मतलब एक्सपोर्ट किया है बगेर टैक्स पेमेंट के, तो नहीं माँगा जा सकता है.
जहा क्रेडिट इसलिए खड़ी या जमा हो गयी है क्योकि रॉ मटेरियल ख़रीदा था तो टैक्स ज्यादा था (मान लो १८%) और बेचने पर (मान लो 5%) लगता है इसे इनवर्टेड टैक्स स्ट्रक्चर कहते है लेकिन इसमें यदि सप्लाई ‘नील रेट“(जो की एक्सेम्पट सप्लाई की परिभाषा में है ) को शामिल नहीं किया है मतलब जिनका विक्रय “नील’ रेट पर है उसे रिफंड नहीं मिलेगा. मतलब उन्हें रिफंड मिल जायेगा जिनका सप्लाई पर किसी भी रेट से टैक्स लगता है(GSTR RFD-०१ का
एनेक्सर-1 के माध्यम से)(यदि २ लाख से ज्यादा का रिफंड है तो CA का सर्टिफिकेट देना होगा) बस ‘नील’ रेट नहीं होना चाहिए.
उस केस में भी अन यूटीलाइसड इनपुट टैक्स क्रेडिट के बैलेंस का रिफंड नहीं मिलेगा जहा एक्सपोर्ट करने पर एक्सपोर्ट ड्यूटी लगती है.
अब रिफंड यदि 1,९९,९९९ से ऊपर का है तो डॉक्यूमेंट देना पड़ेंगे जिसमे साबित होना चाहिए की इस पर टैक्स सरकार को भुगतान हो चूका है और टैक्स का भर किसी अन्य पर नहीं डाला है २ लाख से कम रिफंड के केस में सिर्फ डिक्लेरेशन देना है .
९०% एक्सपोर्टर को क्रेडिट ७ दिन के अन्दर हाथो हाथ प्राविस्नल रूप में दे दी जाएगी बाकि फाइनल सेटलमेंट करके दी जाएगी ताकि एक्सपोर्टर का पैसा टैक्स में ना उलझे. (इसमें रिफंड क्लेम करने वाले के पिछले 5 साल के रिकॉर्ड देखे जायेंगे जिसमे उसे २५० लाख से ज्यादा के टैक्स की चोरी के कर्रण जेल नहीं होना चाहिए, नहीं तो रिफंड नहीं मिलेगा) बाकि पैसा आवेदन की तारीख से ६० दिन में दिया जायेगा
यदि कोई टैक्स गलती से स्टेट के अन्दर सेल्स मान कर दे दिया था और बाद
पता चलता है की यह टी इंटर स्टेट सेल्स था तो आपको इसका रिफंड मिलेगा मतलब नया टैक्स भरना पड़ेगा और गलती वाला टैक्स रिफंड होगा.
यदि कोई टैक्स भर दिया , और उसको सप्लाई नहीं किया और उसे वाउचर के द्वारा अमाउंट रिफंड करा , जो एडवांस लिया था तो आपको इसका रिफंड मिलेगा. अब वह अमाउंट भी मिलेगा जो पेड किया था और जिसका टैक्स नगदी भर दिया था और इसका टैक्स का भर किसी अन्य को ट्रान्सफर नहीं किया है.तो इसका भी आपको रिफंड मिलेगा.
अब कोई केस GST के अंतर्गत पेंडिंग है और कमिश्नर साहेब को लगता है की रिफंड देने से कुछ रेवेन्यु का घाटा हो सकता है तो रिफंड विथहोल्ड किया जा सकता है. बाद में व्यक्ति अगर जीत जाता है तो उसे ६% ब्याज भी मिलेगा.
अब केसुअल टैक्सेबल परसन और नॉन रेसिडेंट टैक्सेबल परसन ने जो नगदी टैक्स भरा है उसमे से जो अमाउंट बचता है उसका रिफंड उसे तभी ही मिलेगा जब उसका रजिस्ट्रेशन पीरियड खत्म हो जायेगा और उसने सभी return भर दिए हो.
यदि रिफंड एप्लीकेशन देने के बाद ६० दिन में नहीं मिलता है और डिले होता है तो ६% और किसी कोर्ट के आर्डर पर ९% ही मिलेगा ६० दिन खत्म होने के बाद वाले पीरियड का ही मिलेगा. जिस दिन टैक्स भरा था उस दिन से नहीं मिलेगा.
इनपुट टैक्स क्रेडिट के क्रॉस यूटीलायसेशन को रोकने के लिए टर्नओवर के आधार पर आपको छुट दी जाएगी मतलब आप कई आइटम्स में काम करके ‘नील’ रेट वाली इनपुट टैक्स क्रेडिट को नहीं ले सकते है
सीए भरत नीमा
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