पूज्य सद्गुरुदेव आशिषवचनम्
।। श्री: कृपा ।।
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प्रत्येक देश के आर्थिक विकास में दृढ़ संकल्प और श्रम की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यूं तो जीवन को महान बनाने के लिए मनुष्य निरंतर प्रयत्नशील रहता है, परंतु वे लोग ही सफल हो पाते हैं, जिनके पास श्रम को पूर्ण व्यवस्थित व संचालित करने की संकल्पशक्ति होती है। संकल्प जीवन की सजीवता का बोध कराता है। यह वह शक्ति है, जो मनुष्य की जीवनशैली को तय करती है। कर्म क्षेत्र पर मनुष्य अपने बुद्धि-विवेक से कर्तव्यनिष्ठ होकर कार्य व्यवहार करता है, लेकिन सफलता या असफलता का पहलू उसके द्वारा किये गये कर्म के प्रति संकल्प पर निर्भर करता है। दृढ़ संकल्प से स्वल्प साधनों में भी मनुष्य अधिकतम विकास कर सकता है और आनन्दपूर्ण जीवन जी सकता है।
नन्हा सा दीपक कब कहता है कि वह दस किलो मिट्टी का बना होता और उसमें दस किलो तेल होता तो ही वह प्रकाश देता। वह तो अपने सीमित साधनों से ही प्रकाश देने लगता है। उन्नति की आकांक्षा रखना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। अतः शुभ-संकल्प के द्वारा प्रत्येक मनुष्य सफलता प्राप्त कर सकता है…।
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