सरकार ने मशीन से मशीन संचार (एम2एम) क्षेत्र में व्यापक प्रसार और नवाचार की सुविधा के लिए कई कदम उठाए
एम2एमएसपी सेवा प्रदाताओं और डब्ल्यूपीएएन/डब्ल्यूएलएएन कनेक्टिविटी प्रदाताओं के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देश जारी किए
यूएल और यूएल-वीएनओ लाइसेंसों के तहत यूएल (एम2एम) और यूएल-वीएनओ (एम2एम) के लिए नया लाइसेंस हाल ही में शुरू किया
एम2एम/आईओटी इस्तेमाल हेतु स्पेक्ट्रम की अतिरिक्त उपलब्धता के लिए पहले से बिना लाइसेंस वाले 865-867 मेगाहर्ट्ज बैंड में 1 मेगाहर्ट्ज अतिरिक्त स्पेक्ट्रम जोड़ा गया
भारत सरकार ने माना है कि एम2एम/इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) दुनिया भर में सबसे तेजी से उभरती प्रौद्योगिकियों में से एक है, जो समाज, उद्योग और उपभोक्ताओं के लिए अत्यधिक लाभकारी अवसर प्रदान करती है। इसका उपयोग बिजली, मोटरवाहन, सुरक्षा तथा निगरानी, दूरस्थ स्वास्थ्य प्रबंधन, कृषि, स्मार्ट होम, उद्योग 4.0, स्मार्ट सिटी आदि जैसे विभिन्न कार्यक्षेत्रों में जुड़े उपकरणों का उपयोग करके स्मार्ट बुनियादी सुविधाएं कायम करने के लिए किया जा रहा है। मशीन से मशीन संचार एक प्रमुख भूमिका निभाने जा रहा है तथा डिजिटल इंडिया एवं मेक इन इंडिया की भारत सरकार की पहल में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
एम2एम इको-सिस्टम को मजबूत करने तथा इस क्षेत्र में व्यापक प्रसार एवं नवाचार की सुविधा के लिए, हाल ही में निम्नलिखित कार्य किए गए हैं:
- एम2एमएसपी सेवा प्रदाताओं और डब्ल्यूपीएएन/डब्ल्यूएलएएन कनेक्टिविटी प्रदाताओं के पंजीकरण के लिए 8 फरवरी, 2022 को दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। सिम और डब्ल्यूपीएएन/डब्ल्यूएलएएन आधारित एम2एम संचार प्रदान करने हेतु आवेदकों के लिए खुद को पंजीकृत करने की आवश्यकता है। यह टीएसपी, केवाईसी, ट्रेसबिलिटी और एन्क्रिप्शन के साथ कनेक्टिविटी जैसी चिंताओं को दूर करने में मदद करेगा। पंजीकरण देश भर में फैले दूरसंचार विभाग के क्षेत्रीय कार्यालयों में किया जाएगा।
- यूएल और यूएल-वीएनओ लाइसेंस के तहत यूएल (एम2एम) और यूएल-वीएनओ (एम2एम) के लिए नया लाइसेंस शुरू किया गया है और तदनुसार यूएल और यूएल (वीएनओ) के लिए दिशानिर्देश में 17 जनवरी, 2022 को संशोधन किए गए थे। हालांकि मौजूदा एक्सेस सेवा प्रदाता पहले से ही एम2एम/आईओटी नेटवर्क को कनेक्टिविटी प्रदान करने में सक्षम थे, नए लाइसेंस के माध्यम से, सेवा प्रदाताओं की एक स्वतंत्र श्रेणी को एम2एम/आईओटी उपकरणों के इंटरकनेक्शन के लिए नेटवर्क बनाने, उसे संचालित करने और सेवा प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। इस लाइसेंस के लिए आवेदक विभिन्न श्रेणियों जैसे श्रेणी ए (पैन इंडिया के लिए), श्रेणी बी (सेवा क्षेत्र) और श्रेणी सी (एसएसए/जिला क्षेत्र) के तहत आवेदन कर सकते हैं।
- एम2एम/आईओटी के इस्तेमाल में स्पेक्ट्रम की अतिरिक्त उपलब्धता के लिए पहले से बिना लाइसेंस वाले 865-867 मेगाहर्ट्ज बैंड में 1 (एक) मेगाहर्ट्ज अतिरिक्त स्पेक्ट्रम जोड़ दिया जाता है, जिससे यह 865-868 मेगाहर्ट्ज हो जाता है। विभिन्न इस्तेमाल के लिए रेडिएटेड पावर, चैनल बैंडविड्थ और ड्यूटी साइकल को भी परिभाषित किया गया है।
इसके अलावा, दूरसंचार विभाग ने एम2एम/आईओटी डोमेन में बढ़ते हुए एम2एम उद्योग की सुविधा के लिए पहले निम्नलिखित कार्य किए थे :
- मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से जुड़े एम2एम/आईओटी उपकरणों के लिए विशेष रूप से 13 अंकों की नंबर प्रणाली जारी की।
- केवल एम2एम संचार सेवाओं के लिए उपयोग की जाने वाली सिम की विशेषताओं को परिभाषित किया गया है और थोक श्रेणी के तहत एम2एम संचार प्रदान करने वाली संस्था/संगठन को एम2एम सिम जारी करने के लिए संबंधित केवाईसी निर्देश भी जारी किए गए हैं।
- दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को उन्हें ओवर द एयर (ओटीए) कॉन्फ़िगर करने की अनुमति देकर एम्बेडेड सिम के उपयोग की भी अनुमति दी है। इसने पर्याप्त संख्या में संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की है और देश में मोबाइल एम2एम इको-सिस्टम के लिए एक मजबूत ढांचा तैयार किया है।
- मापनीयता, अंतर-संचालन और दक्षता, बड़े आकार के एम2एम नेटवर्क के लिए महत्वपूर्ण मानदंड हैं। इस तरह की सुविधा का समर्थन करने के लिए सरकार ने वनएम2एम एलायंस और रिलीज 2 मानकों के द्वारा निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय मानकों को टीईसी, दूरसंचार विभाग के तकनीकी विंग के माध्यम से राष्ट्रीय मानकों के रूप में जनवरी 2020 में अपनाया था।
- टीईसी ने जनवरी 2019 में आईओटी/एम2एम सुरक्षा पर सिफारिशें और अगस्त 2021 में उपभोक्ता आईओटी हासिल करने के लिए आचार संहिता भी जारी की थी। ये दोनों दस्तावेज सुरक्षित और संरक्षित आईओटी सुविधाओं के तरीके सुझाते हैं।
एम2एम सेवाओं के लिए उपरोक्त नियामक की सक्षमता से लागत में कमी आएगी, उत्पादकता में वृद्धि होगी, शीघ्रता से प्रत्युतर प्राप्त होगा, संसाधन का मनमुताबिक उपयोग होगा और आम नागरिकों के लिए जीवन को आसान बनाने वाले व्यवसायों के लिए राजस्व में वृद्धि होगी।
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