न्यूज़ डेस्क : केंद्र सरकार अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को कम करने जा रही है। हालांकि अभी जो प्रपोजल तैयार हुआ है, उसके तहत सेवानिवृत्ति की आयु दो तरीके से तय होगी। पहला कर्मचारी ने अगर 33 साल की सेवा पूरी कर ली हो या उसकी खुद की आयु 60 साल हो गई हो। सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर सुरक्षा बलों पर पड़ेगा। चूंकि सैन्य एवं दूसरे सुरक्षा बलों में औसतन 22 साल के आसपास ज्वाइनिंग हो जाती है, इसलिए इनकी 33 साल की सर्विस 55 साल में ही पूरी हो जाएगी।
सातवें वेतन आयोग में भी इसका जिक्र :
वहीं इस फैसले पर सरकार की दलील है कि यह कोई नई पहल नहीं है, सातवें वेतन आयोग में भी इसका जिक्र किया गया है। अगर सेवानिवृत्ति की इस योजना को लागू किया जाता है, तो बैकलॉग की समस्या दूर हो जाएगी। नई भर्तियों का रास्ता खुलेगा और जिन कर्मियों को समय पर प्रमोशन न मिलने की शिकायत रहती थी, वह भी दूर हो सकेगी। डीओपीटी सूत्रों का कहना है कि इस प्रपोजल पर काम शुरु हो चुका है।
तकरीबन हर विभाग में अधिकारियों और कर्मियों की सूची तैयार हो रही है और योजना को कई चरणों में लागू किया जाएगा। इसके वित्तीय प्रावधानों को लेकर भी रिपोर्ट बनाई जा रही है और वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिलने के बाद अगले वित्तीय वर्ष से सेवानिवृत्ति के नए नियम क्रियान्वित कर दिए जाएंगे।
जूनियर्स के प्रमोशन में बाधा
सूत्र बताते हैं कि 32 साल की सेवा के बाद किसी अधिकारी या कर्मचारी की वेतन श्रेणी में कोई बड़ा वित्तीय बदलाव नहीं होता, लेकिन वे साठ साल तक जब नौकरी करते हैं तो उनके जूनियर्स के प्रमोशन में बाधा आने लगती है। केंद्र सरकार का तर्क है कि 33 साल की सेवा या 60 साल की आयु, जो भी पहले आए, इसके मुताबिक सेवानिवृत्ति होने से सरकार ही नहीं, बल्कि दूसरे कर्मियों को भी फायदा होगा। लेटरल एंट्री स्कीम को अच्छे से लागू किया जा सकेगा।
वहीं पदोन्नति के नए अवसर पैदा होंगे तो नई जॉब की राह भी प्रशस्त होगी। इस तरीके से बैकलॉग की समस्या भी दूर हो जाएगी। इस योजना में आईएएस, आईपीएस से लेकर केंद्र सरकार की सभी श्रेणी की नौकरियां शामिल हैं।
अदालत ने कहा था रिटायरमेंट की उम्र हो एक:
इसी साल 31 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक सेवानिवृत्त अधिकारी देव शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया था। जिसमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय चार माह में तय करे कि सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में सभी रैंकों में सेवानिवृत्ति की उम्र समान हो। अभी तक केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल ‘सीआरपीएफ’, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस ‘आईटीबीपी’, सीमा सुरक्षा बल ‘बीएसएफ’ तथा सशस्त्र सीमा बल ‘एसएसबी’ में कमांडेंट से नीचे के पदों पर जवान 57 साल की उम्र में रिटायर हो जाते हैं।
डीआईजी और उससे ऊपर के रैंक के अधिकारियों की रिटायरमेंट की उम्र 60 वर्ष होती है। केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और असम राइफल्स में सभी रैंक 60 वर्ष की उम्र पूरी करके रिटायर होते हैं।
अलग-अलग है रिटायरमेंट उम्र
वहीं पश्चिम बंगाल में मेडिकल टीचर के लिए 65 साल, डॉक्टर की 62 साल और दूसरे पदों के लिए 60 साल की सेवानिवृत्ति आयु तय की गई है। सभी पदों के लिए आंध्रप्रदेश में 60, त्रिपुरा में 60, कर्नाटक में 60, असम में 60, बिहार में 60, मेघालय में 60, मध्यप्रदेश में 60, छत्तीसगढ़ में 60, नागालैंड में 60, गुजरात में 60, उत्तराखंड में 60, उत्तरप्रदेश में 60 और सिक्किम में 60 साल की आयु में रिटायमेंट होती है।
तेलंगाना, तमिलनाडु, गोवा, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, मिजोरम, मणिपुर, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उड़ीसा में 58 साल की आयु में कर्मचारी या अधिकारी रिटायर होते हैं। झारखंड और केरल में सेवानिवृत्ति आयु 56 साल रखी गई थी। हालांकि इनमें कई राज्यों में सेवानिवृत्ति आयु घटती बढ़ती रही है। इसके अलावा विभिन्न पदों के लिए अलग अलग सेवानिवृत्ति आयु का भी प्रावधान रखा गया है। जैसे हरियाणा में तकनीकी कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु 60 साल कर दी गई है। डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु को भी बढ़ाया गया है।
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