न्यूज़ डेस्क : केंद्रीय दूरसंचार मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने सोमवार को टेलीकॉम क्षेत्र में 5G तकनीकी की शुरुआत के संदर्भ में महत्वपूर्ण घोषणा की। मंत्री ने कहा कि सरकार देश में 5G तकनीकी लाने के लिए पूरी तरह तैयार है और इसके ट्रायल की तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। मंत्री ने तकनीकी के ट्रायल में सभी टेलीकॉम कंपनियों को भाग लेने देने की बात भी कही, जिनमें चीन की बड़ी कंपनी हुवावे (Huawei) भी शामिल है।
लेकिन हुवावे को 5G तकनीक के ट्रायल को शामिल करने पर संघ परिवार में ही विवाद हो गया है। संघ परिवार के महत्वपूर्ण अंग स्वदेशी जागरण मंच ने देश की सुरक्षा का हवाला देते हुए हुवावे के 5G तकनीक के ट्रायल में शामिल होने का विरोध किया है। संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हुवावे सहित सभी चीनी कंपनियों को 5G तकनीक के ट्रायल से बाहर किये जाने की मांग की है।
स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने मंगलवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में देश की सुरक्षा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा है कि आज देश की सुरक्षा में टेलीकॉम तकनीक का बढ़-चढ़कर उपयोग हो रहा है। लेकिन चीनी कंपनियों को इसमें शामिल होने की इजाजत देने से उनकी पहुंच देश की महत्वपूर्ण सुरक्षा तकनीकी और उनके आंकड़ों तक हो सकती है। यह भविष्य में भारत की सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील मामला हो सकता है।
संगठन ने दुनिया में नई तकनीकी के महत्व को स्वीकारते हुए 5G और 6G तकनीकी की शुरुआत को जरूरी माना है, लेकिन टेलीकॉम तकनीक में चीनी कंपनियों की घुसपैठ को देश की सुरक्षा के लिहाज से खतरा करार दिया है। संगठन ने कहा है कि हुवावे की गतिविधियां कई देशों में आपत्तिजनक पाई गई थीं, जिसके कारण उसे कई जगहों पर प्रतिबंध का सामना भी करना पड़ा है, लेकिन इसके बाद भी उसे भारत में प्रवेश दिये जाने पर संगठन ने निराशा जताई है।
संगठन की मांग है कि चीनी कंपनियों की तुलना में भारतीय कंपनियों को मदद देकर उन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए। हुवावे ने भी चीनी सरकार से 7500 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद लेकर अपना विस्तार किया है।
दरअसल, इसके पहले स्वदेशी जागरण मंच ने टेलीकॉम मंत्रालय से भी इसी तरह की अपील की थी। संगठन ने मंत्रालय में एक प्रेजेंटेशन देकर हुवावे के भारत में आने पर देश की सुरक्षा में सेंध लगने की आशंका जताई थी। लेकिन टेलीकॉम मंत्रालय ने संगठन की मांग को पूरी तरह से अस्वीकार कर दिया, जिसके बाद मामला प्रधानमंत्री तक जा पहुंचा है।
इन देशों में हो चुका है हुवावे का विस्तार
चीनी कंपनी हुवावे चीन की बड़ी टेलीकॉम कंपनी है। यह चीन की सबसे प्रमुख टेलीकॉम सेवा देने वाली कंपनी है। यह चीन के बाहर यूरोप के 28 देशों, मिडल ईस्ट के 11 देशों और नॉर्थ अमेरिका के चार देशों में अपनी सेवाएं दे रही है। लेकिन कुछ देशों ने इसकी सेवाओं को सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील करार दिया था। इसमें अमेरिका में शुरु हुआ विवाद भी शामिल है जिसके बाद अमेरिका और चीन के रिश्ते तल्ख हो गए थे।
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