नई दिल्ली ,01 जनवरी।बजट से पहले आज इकोनॉमिक सर्वे पेश किया गया। इस सर्वे में कई ऐसी बातें आई, जिसने सबके चेहरे खिला दिए। महंगाी के मोर्चे पर भी राहत देने वाली बात कही गई। वहीं सरकार के खजाने में भी इजाफा हुआ है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने मंगलवार को कहा कि सरकार के सुधारों के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन करने को तैयार है और इस दशक की शेष अवधि में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत के बीच रहने की उम्मीद है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के संसद में आर्थिक समीक्षा पेश किए जाने के बाद नागेश्वरन ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 में विपरीत चुनौतियों को छोड़ दिया जाए, तो कुल मिलाकर मुद्रास्फीति के दायरे में ही रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में अनिश्चितताओं को देखते हुए निर्यात संभावनाओं पर गौर किये बिना दशक की बची हुई अवधि में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 से सात प्रतिशत के बीच रहेगी। सीईए ने कहा कि कंपनियों के मजबूत बही-खाते और वित्तीय क्षेत्र में सुधार से आने वाले वर्षों में वृद्धि दर को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर नरमी भारत के पक्ष में है लेकिन जिंसों के दाम के स्तर पर अनिश्चितता और कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव प्रमुख चुनौतियां हैं। सीईए द्वारा तैयार वित्त वर्ष 2022-23 की आर्थिक समीक्षा के मुताबिक, रिजर्व बैंक का चालू वित्त वर्ष में मुद्रास्फीति 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान न तो इतना अधिक है कि निजी खपत को रोके और न ही इतनी कम है कि निवेश के लिये प्रोत्साहन को कमजोर करे।
समीक्षा के अनुसार, देश की अर्थव्यवस्था कुछ धीमी पड़कर अगले वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इसके बावजूद यह दुनिया में तीव्र आर्थिक वृद्धि वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इसका कारण यह है कि इसने दुनिया के सामने आने वाली असाधारण चुनौतियों से निपटने को लेकर बेहतर प्रदर्शन किया है। नागेश्वरन ने कहा कि कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बनी रहती है, तो अनुमानित वृद्धि दर पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने अब आठ प्रतिशत वृद्धि दर के अनुमान को छोड़ दिया है, उन्होंने कहा, ”निर्यात वृद्धि के बिना भी हम आठ प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने में सक्षम हैं। सीईए ने कहा, ”सरकार के आठ प्रतिशत या नौ प्रतिशत वृद्धि दर पर गौर करने का कारण है। पहले दशक में वैश्विक अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही थी और अब यह नरमी के दौर में है। अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहता है और वैश्विक आपूर्ति व्यवस्था में कमी को दूर करने के लिये प्रयास सफल होते तथा निर्यात वृद्धि तेज होती, इससे वृद्धि दर को सात प्रतिशत से आठ प्रतिशत करने में मदद मिलती।”
उन्होंने यह भी कहा कि रोजगार सृजन महत्वपूर्ण नीतिगत लक्ष्य है और सरकार ने नौकरियां सृजित करने के लिये कई कदम उठाये हैं। नोटबंदी के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर नागेश्वरन ने कहा कि इसका डिजिटल अर्थव्यवस्था को गति देने और काले धन को हतोत्साहित करने में योगदान सकारात्मक था।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक व्यय की गुणवत्ता बेहतर हुई है और सरकार बजट घाटे के आंकड़ों को लेकर अधिक पारदर्शी हुई है। सार्वजनिक खरीद के मामले में भी पारदर्शिता आई है। सीईए ने यह भी कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में कर्ज वृद्धि बढ़ रही है और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम) क्षेत्र को जनवरी, 2022 से ऋण में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। वहीं गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में फंसा कर्ज 15 महीने पहले के मुकाबले कम हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में लक्ष्य से कहीं आगे है।
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