हिंदी सिनेमा में हॉरर फिल्मों का इतिहास भले ही सीमित हो, लेकिन कुछ फिल्मों ने इस शैली में दर्शकों की रुचि को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया है। 2021 में आई “छोरी” ने नुसरत भरुचा के दमदार प्रदर्शन और एक सामाजिक संदेश के साथ सराहना हासिल की थी। इसी क्रम में बनी “छोरी 2”, 11 अप्रैल 2025 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई। दर्शकों की अपेक्षाएं इस फिल्म से काफी अधिक थीं, लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म इन अपेक्षाओं पर पूरी तरह से खरी नहीं उतर पाई।
कहानी की झलक
“छोरी 2” की कहानी पिछली फिल्म की कहानी को ही आगे बढ़ाती है। नुसरत भरुचा द्वारा निभाई गई ‘साक्षी’ इस बार एक नए गांव में अपने अजन्मे बच्चे को एक रहस्यमयी और दुष्ट आत्मा से बचाने के लिए संघर्ष करती है। वह अपने अतीत के डरावने अनुभवों से निकल चुकी है, लेकिन हालात एक बार फिर उसे उसी भयावह माहौल में ला खड़ा करते हैं।
जहां पहली फिल्म सामाजिक संदेश और सस्पेंस के कारण दर्शकों को बांधे रखने में सफल रही थी, वहीं छोरी 2 उस गहराई को पुनः स्थापित नहीं कर पाई। कहानी में डर का माहौल तो है, लेकिन उसका प्रभाव बहुत सीमित महसूस होता है।
अभिनय और प्रस्तुतिकरण
नुसरत भरुचा ने एक बार फिर भावनात्मक और डरावने दृश्यों में अच्छा प्रदर्शन किया है। उनकी आंखों की भाषा और भय को व्यक्त करने की क्षमता फिल्म का मजबूत पक्ष है। सोहा अली खान की भूमिका अपेक्षाकृत छोटी है, लेकिन उन्होंने अपने हिस्से का काम ईमानदारी से निभाया है।
बच्चों के किरदार, जो पिछली फिल्म में भय का बड़ा स्त्रोत थे, इस बार अपेक्षा अनुसार डराने में असफल रहे। उनमें वह मासूमियत के साथ क्रूरता का संतुलन नजर नहीं आया, जो पहले भाग की खासियत थी।
तकनीकी पक्ष
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और बैकग्राउंड स्कोर प्रभावशाली हैं। गांव की लोकेशन, अंधेरा, बारिश और हवाओं की आवाज़ें एक डरावना वातावरण बनाते हैं। कैमरावर्क और लाइटिंग का उपयोग भय के माहौल को स्थापित करने में मदद करता है।
लेकिन जहां तकनीक सफल रही, वहीं स्क्रीनप्ले और संवाद दर्शकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए। कहानी में ऐसे कई दृश्य हैं, जहां सस्पेंस बनते-बनते खत्म हो जाता है या फिर दर्शक पहले ही अनुमान लगा लेते हैं कि आगे क्या होगा।
कमजोरियाँ
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कहानी की गहराई की कमी:
फिल्म एक सामाजिक संदेश देने की कोशिश करती है, लेकिन यह प्रयास कमजोर और अधूरा लगता है। विषय गंभीर है, लेकिन उस पर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया। -
दोहराव और पूर्वानुमानित दृश्य:
कई दृश्य पहले से अनुमानित लगते हैं। डराने वाले सीक्वेंस दोहराए गए हैं, जिनका असर फीका पड़ता है। -
चरित्र विकास की कमी:
नायिका के अलावा अन्य पात्रों को विकसित नहीं किया गया, जिससे दर्शकों का उनसे कोई भावनात्मक जुड़ाव नहीं बन पाता।।
रेटिंग: 2.5/5
यदि आप “छोरी” जैसी ही गुणवत्ता की उम्मीद कर रहे हैं, तो “छोरी 2” आपको डर तो दे सकती है, लेकिन उसकी गूंज बहुत देर तक नहीं टिकेगी।
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