न्यूज़ डेस्क : हिंद महासागर इलाके में चीन को चुनौती देने के लिए जर्मनी ने अपने युद्धपोत को हिंद महासागर में तैनात करने का निर्णय लिया है। जर्मनी की रक्षा मंत्री अन्नग्रेट क्रांप ने इसकी जानकारी दी है।उन्होंने कहा कि दुनिया की भलाई के लिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र बहुत महत्वपूर्ण है।
अन्नग्रेट ने कहा कि युद्धपोत के अगले साल तक तैनात होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि हमारे इस कदम से विश्व व्यवस्था को सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी। अन्नग्रेट ने कहा कि हम 2020 की तुलना में 2021 में रक्षा पर अधिक खर्च करेंगे, हालांकि उन्होंने दक्षिण चीन सागर में चीन के क्रिया कलाप पर कोई टिप्पणी नहीं की।
उन्होंने कहा कि जर्मन सेना के अधिकारी ऑस्ट्रेलिया की नौसेना के साथ तैनात होंगे और जर्मन नेवी का युद्धपोत हिंद महासागर में गश्त लगाएगा। अन्नग्रेट ने कहा चीन जर्मनी का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझीदार है और हमारा चीन के साथ मजबूत आर्थिक संबंध है जो दोनों ही देशों के हित में है।’
जर्मन विदेश मंत्रालय के अनुसार यूरोप और इंडो-पैसिफिक की अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के साथ निकटता से जुड़ी हुई हैं, वहीं देश का प्रमुख व्यापारिक मार्ग हिंद महासागर, दक्षिण चीन सागर और प्रशांत क्षेत्र से होकर गुजरता है। मंत्रालय ने कहा कि अगर क्षेत्र में किसी भी तरह की बाधा उत्पन्न करने की कोशिश की जाएगी तो जर्मनी इसका करारा जवाब देगा।
अन्नग्रेट पहली ऐसी जर्मन नेता हैं जिन्होंने सार्वजनिक रूप से इस बात की पुष्टि की है कि जर्मनी के 5जी नेटवर्क से चीनी कंपनी हुवावे को अलग रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि यूरोप के देश उसी तकनीक को अपनाएंगे जो विश्वसनीय हो। वहीं ऑस्ट्रेलिया पहला ऐसा पश्चिमी देश था जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर वर्ष 2018 में हुवावे पर बैन लगाया था। इसके बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने प्रतिबंध लगाया।
अन्नग्रेट ने आगे कहा कि जर्मनी ऑस्ट्रेलिया जैसे समान विचार वाले देशों के साथ संबंधों का विस्तार करने के लिए नाटो के साथ मिलकर काम कर रहा है।
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