कोरोना का मुफ्त जाँच अब सिर्फ आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थिओं को : सुप्रीम कोर्ट

न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस की निजी लैब में मुफ्त जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपने पिछले फैसले में बदलाव किए हैं। सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को कहा कि यह लाभ सिर्फ उस आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग को ही मिलेगा, जो आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत आते हैं। 

 

इससे पहले आठ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निजी लैब में भी कोरोना वायरस की जांच मुफ्त होनी चाहिए। अदालत ने कहा था कि साढ़े चार हजार रुपये में होने वाली जांच को राष्ट्रीय आपदा के दौरान मुफ्त करना चाहिए। 

 

शीर्ष अदालत ने अब कहा कि हमारा इरादा ऐसा कभी नहीं था कि जो लोग पैसा चुका सकते हैं, उन्हें भी यह फायदा मिले। जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस रविंद्र भट की पीठ ने दो लोगों की याचिका पर कहा कि निजी लैब पर अतिरिक्त आर्थिक दबाव डालने से कोरोना वायरस की जांच की रफ्तार धीमी पड़ सकती है।

 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका पर सुनवाई के दौरान हम इस बात से संतुष्ट हैं कि आठ अप्रैल के अपने आदेश में संशोधन के साथ स्पष्टीकरण जरूरी है। वह आदेश मूलरूप से आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को ध्यान में रखकर लिया गया था। अदालत ने आगे कहा कि हम यह भी स्पष्ट करना चाहते हैं कि जो लोग पैसा चुका सकते हैं, उनके लिए यह आदेश नहीं है।

 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद निजी लैबों ने हाथ खड़े कर दिए थे। इन लैब्स का कहना था कि कोविड-19 की मुफ्त जांच के लिए हमारे पास साधन नहीं हैं। सरकार को रास्ता निकालना चाहिए, जिससे निजी लैब बढ़ती मांग के बीच जांच का काम जारी रख सकें।

 

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