भारत-नेपाल के बीच रिश्ते पटरी पर लाने 26 नवंबर को काठमांडू जाएंगे विदेश सचिव हर्ष वर्धन

न्यूज़ डेस्क : कई महीनों तक तनाव और विवाद के बाद आखिकरकार भारत-नेपाल के बीच रिश्ते पटरी पर लौटते नजर आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच आधिकारिक बातचीत के लिए भारत के विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला 26 नवंबर को काठमांडू जाएंगे। इसे संकेत माना जा रहा है कि नई दिल्ली द्वीपक्षीय रिश्तों में सुधार के लिए अतिरिक्त प्रयास करने को तैयार है।

 

 

विदेश सचिव को नेपाल भेजने का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब हाल ही में सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे को नेपाली सेना के जनरल की मानद उपाधि दी गई है। जनरल नरवणे ने पीएम केपी शर्मा ओली से मुलाकात की थी। इस दौरान पीएम ने कहा था कि दोनों देश बातचीत के जरिए सभी मुद्दों को सुलझा सकते हैं। दोनों का रिश्ता सदियों पुराना और खास है। 

 

 

जनरल नरवणे के दौरे को लेकर केपी शर्मा ओली को कैबिनेट के भीतर ही विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन उन्होंने उपप्रधानमंत्री ईश्वर पोखरेल से रक्षा मंत्रालय का प्रभार लेकर उन्हें शांत कर दिया। जनरल नरवणे का दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण माना गया क्योंकि उत्तराखंड में एक सड़क निर्माण के विरोध को लेकर उन्होंने नेपाल पर टिप्पणी की थी। मई में उन्होंने कहा था कि नेपाल ने किसी और के कहने पर यह मुद्दा उठाया है। माना गया कि उनका इशारा चीन की ओर था। 

 

 

ओली और नरवणे के बीच मुलाकात और चर्चा से वाकिफ लोगों के मुताबिक, केपी शर्मा ओली ने नेपाल के राजनीतिक नक्शे से उपजे विवाद का जिक्र भी किया और उन्होंने इसे गलतफ़हमी का मामला बताया। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि नेपाल अपनी संप्रभुता को बहुत गंभीरता से लेता है। माना जा रहा है कि ओली ने इसके जरिए नए राजनीतिक नक्शे पर अपना पक्ष रखने की कोशिश की है। 

 

 

दो दिवसीय दौरे पर श्रृंगला अपने समकक्ष भरत राज पौडयाल और विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ज्ञावली से से मुलाकात करेंगे। वह राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से भी मुलाकात करेंगे। श्रृंगला दोनों देशों के बीच सीमा समिति की संयुक्त तकनीकी स्तर की बातचीत की अगुआई भी कर सकते हैं। अधिकारियों ने जोर दिया है कि दौरे का मकसद सिर्फ सीमा मुद्दा नहीं है। 

 

 

एक वरिष्ठ कूटनीतिज्ञ ने कहा, ”यह एकमात्र अजेंडे वाला दौरा नहीं है।” उन्होंने इशारा किया कि भारत नेपाल से कोरोना वैक्सीन बनने और इसका उत्पादन शुरू होने के बाद मदद का वादा कर सकता है। इसके अलावा दोनों पक्ष महाकाली नदी पर पंचेश्वर मल्टी-पर्पज प्रोजेक्ट को शुरू करने पर भी चर्चा कर सकते हैं।  

 

Comments are closed.