न्यूज़ डेस्क : भारतीय मिठाइयों में खोया या मावा का इस्तेमाल बड़ी मात्रा में किया जाता है। बर्फी, पेड़ा, मिल्क केक, कलाकंद आदि मिठाइयों में खोया मुख्य घटक रहता है। त्योहारों के मौसम में इसकी मांग और बढ़ जाती है, जिसके चलते मिलावट करने वाले इस मौके का फायदा उठाते हैं और नकली खोया तैयार कर बाजार में बेचते हैं। इस पर लगाम लगाने के लिए सरकार पूरे देश में सर्वे करवा रही है।
खोया में मिलावट के मामले बार-बार सामने आते रहे हैं। इसे लेकर फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्युफैक्चरर्स ने हाल ही में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के सीईओ से मुलाकात कर यह मुद्दा उठाया था। इसके बाद खाद्य सुरक्षा विभाग, दिल्ली ने इसे लेकर एक पायलट सर्वे करवाया था।
एफएसएसएआई के निर्देशन में फूड सेफ्टी ऑन व्हील्स (एफएसडब्ल्यू) के तहत 31 अगस्त से चार सितंबर के बीच दिल्ली की मोरी गेट खोया मंडी में यह सर्वे कराया गया था। इस सर्वे के दौरान एफएसडब्ल्यू ने तीन मानकों (अनुमाप्य अम्लता, अधिकतम स्टार्च और चीनी की मात्रा) के आधार खोया सैंपलों की जांच की थी।
खोये के सैंपलों का एक हिस्सा राज्य खाद्य जांच प्रयोगशाला में भी भेजा गया था। यहां पांच अन्य मानकों पर सैंपलों की जांच की गई थी। इन मानकों में, यूरिया, डिटर्जेंट, न्यूट्रलाइजर, बॉडुइन और बीआर रीडिंग शामिल थे। इस सर्वे में कुछ सैंपलों में गड़बड़ी पाए जाने के बाद पूरे देश में खोया गुणवत्ता सर्वे कराने का फैसला लिया गया था।
खाद्य सुरक्षा आयुक्त ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से अनुरोध किया था कि अपने यहां खोया मंडियों में, खास तौर पर बड़े शहरों में, 12 से 16 अक्तूबर के बीच एफएसडब्ल्यू लगाएं और खरीदारों को खोया सैंपल की जांच कराने के लिए प्रोत्साहित करें। जांच परिणाम एक महीने में आने की उम्मीद है। इनके अंतिम परिणाम देश में खोया मिलावट के हॉटस्पॉट पहचानने में मदद करेंगे।
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