नई दिल्ली। नवंबर के अंत में भारत का राजकोषीय घाटा तय लक्ष्य को पार कर गया और 2017-18 के बजट अनुमान के 112 फीसद तक पहुंच गया। इसके कारणों में कम जीएसटी कलेक्शन और भारी भरकम खर्चे प्रमुख रुप से रहे हैं। पूर्ण रूप से राजकोषीय घाटा जो कि व्यय और राजस्व के बीच का अंतर होता है अप्रैल-नवंबर 2017-18 के दौरान 6.12 लाख करोड़ रुपए का था। यह जानकारी कंट्रोलर जनरल ऑफ अकाउंट (सीजीए) के आंकड़ों के जरिए सामने आई है। वित्त वर्ष 2016-17 की समान अवधि के दौरान, घाटा (डेफिसिट) उस वर्ष के लक्ष्य का 85.8 फीसद रहा था।
आंकड़ों के अनुसार, नवंबर-दिसंबर में सरकार का कुल खर्च 14.78 लाख करोड़ रुपये था, या बजट अनुमान का 68.9 फीसद। पिछले वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 65 फीसद का रहा था। वहीं अप्रैल से नवंबर (2017-18) अवधि के दौरान कैपिटल एक्सपेंडीचर बजट अनुमान का 59.5 फीसद रहा जो कि बीते वर्ष की समान अवधि के दौरान 57.7 फीसद रहा था। वहीं ब्याज भुगतान सहित राजस्व व्यय अप्रैल से नवंबर (2017-18) अवधि के दौरान बजट अनुमान का 70.5 फीसद रहा जो कि बीते वित्त वर्ष की समान अवधि में 66.1 फीसद रहा था।
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए सरकार ने लक्ष्य रखा था कि वो राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.2 फीसद के लक्ष्य तक रखेगी। इसके पिछले साल सरकार ने जीडीपी के 3.5 फीसद के लक्ष्य को प्राप्त किया था। सीजीए की ओर से जारी किए गए डेटा के मुताबिक नवंबर तक के आठ महीनों तक सरकार की राजस्व प्राप्तियां 8.04 लाख करोड़ रुपए की रही जो कि वित्त वर्ष 2017-19 के बजट अनुमान (15.15 लाख करोड़) का 53.15 फीसद हिस्सा है। वहीं टैक्स एवं अन्य मदों वाली प्राप्तियां बीते वर्ष की अवधि में लक्ष्य का 57.8 फीसद रही थीं।
जीएसटी कलेक्शन में लगातार आ रही है गिरावट: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कलेक्शन में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। नवंबर महीने में भी जीएसटी कलेक्शन में गिरावट देखने को मिली है। नवंबर महीने में सरकार को 80,808 रुपए का जीएसटी प्राप्त हुआ है। अक्टूबर महीने में यह आंकड़ा 83,346 करोड़ रुपए का रहा था। आपको बता दें कि सरकार ने जुलाई महीने में 92,283 करोड़ रुपए, अगस्त महीने में 90,669 करोड़ रुपए और सितंबर महीने में 92,150 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त किया था।
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