नई दिल्ली : वैश्विक वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) कंपनियों को आंकड़े (डेटा लोकलाइजेशन) के नियमों के अनुपालन के लिए दिए गए समय को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) आगे नहीं बढ़ाएगा। सूत्रों ने यह जानकारी दी है। आरबीआई ने इसके लिए डेडलाइन 15 अक्टूबर तय की है।
रिजर्व बैंक ने अप्रैल में पेमेंट बिजनेस से जुड़ी ग्लोबल कंपनियों को भारतीय ग्राहकों के लेनदेन के आंकड़े भारत में ही स्टोर रखने के लिए छह महीने का समय दिया था। सूत्रों के मुताबिक, वैश्विक वित्तीय प्रौद्योगिकी कंपनियां रिजर्व बैंक से बार-बार आखिरी तारीख को 15 अक्टूबर से आगे बढ़ाने की मांग कर रही हैं लेकिन केंद्रीय बैंक छूट देने को तैयार नहीं है।
डेटा लोकलाइजेशन का अर्थ है कि देश में रहने वाले नागरिकों के निजी आंकड़ों का कलेक्शन, प्रोसेस और स्टोर करके देश के भीतर ही रखा जाए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थानांतरित करने से पहले लोकल प्राइवेसी कानून या डेटा प्रोटक्शन कानून की शर्तों को पूरा किया जाए। भारतीय कंपनियों ने रिजर्व बैंक के इस कदम का स्वागत किया है,
जबकि विदेशी कंपनियों को यहां अपना सर्वर बनाने में खर्च बढ़ने का खतरा सता रहा है। सूत्रों ने कहा कि लागत में वृद्धि से बचने के लिए विदेशी कंपनियों ने हाल ही में हुई एक बैठक में असल आंकड़ों की जगह उनकी एक कॉपी भारत में रखने का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने इसकी मंजूरी नहीं दी।
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