पांचवां सिद्ध दिवस आज सफलतापूर्वक मनाया गया

सिद्ध चिकित्सा पद्धति की शुरुआत भारतीय उपमहाद्वीप में हुई। यह स्वास्थ्य देखभाल की सबसे पुरानी संहिताबद्ध परंपराओं में से एक है। जिसमें कई जटिल, अभिनव चिकित्सीय उपाय और उपचार के तौर-तरीके मौजूद हैं। इसके मूल आधार और सिद्धांत काफी हद तक पंचभूतम, स्वाद और तीन रसों पर निर्भर हैं। मान्यताप्राप्त आयुष प्रणालियों के हिस्से के रूप में इसे आधिकारिक तौर पर राज्य का संरक्षण मिलता है और सार्वजनिक तथा निजी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के माध्यम से जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा इससे लाभान्वित होता है।

आयुष मंत्रालय हर साल अगथियार के जन्मदिन के अवसर पर सिद्ध दिवस मनाता है, जो मार्गज़ी महीने के अईलयम स्टार के दौरान आता है। इस वर्ष 23 दिसंबर, 2021 को “संक्रामक रोगों के लिए सिद्ध चिकित्सा की शक्ति” विषय पर केंद्रीय सिद्ध अनुसंधान परिषद, राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान तथा तमिलनाडु सरकार के भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी निदेशालय द्वारा संयुक्त रूप से पांचवें सिद्ध दिवस समारोह का आयोजन किया गया है। इस मुख्य आयोजन से पहले पिछले दो माह के दौरान कई अन्य संबंधित संस्थानों में सिद्ध दिवस के आयोजन से पहले की गतिविधियां चलाई गई हैं। कार्यक्रम के प्रतिभागियों में सिद्ध मेडिकल कॉलेजों सहित विभिन्न कॉलेजों के सम्मानित गणमान्य व्यक्ति, सिद्ध डॉक्टर, संकाय सदस्य और छात्र शामिल हैं।

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इस शुभ अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में आयुष तथा बंदरगाह, जहाजरानी एवं जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल, सम्मानित अतिथि आयुष तथा महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री डॉ. मुंजपारा महेंद्रभाई, तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विकास मंत्री श्री एम.ए.ए. सुब्रमण्यन उपस्थित थे।

सभा को संबोधित करते हुए श्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा, “मुझे विश्वास है कि यह सिद्ध दिवस बीमारियों के शमन और लोगों के स्वास्थ्य की सुरक्षा में सिद्ध की सदियों पुरानी परंपरा के पुनरुत्थान का मार्ग प्रशस्त करेगा। आयुष मंत्रालय को इस बात से प्रसन्नता हो रही है कि सीसीआरएस, एनआईएस, तमिलनाडु सरकार के भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी निदेशालय, शैक्षणिक संस्थान और गैर-सरकारी संगठन सहित सभी हितधारक प्रभावी तरीके से महामारी का मुकाबला करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।”

श्री सोनोवाल ने कहा कि आयुष मंत्रालय ने आम जनता की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने की दृष्टि से विभिन्न नोडल संस्थानों के माध्यम से पूरे देश में आयुष रोगनिरोधी दवाओं के नि:शुल्क वितरण के लिए एक योजना लागू की है। उन्होंने कहा कि सीसीआरएस और एनआईएस ने भारत के प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेजों से जुड़े 3 आरसीटीएस तथा 2 अवलोकन अध्ययन सहित 10 से अधिक अध्ययन किए हैं एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर की अग्रणी समीक्षा वाली पत्रिकाओं में लगभग 30 पेपर प्रकाशित किए हैं। सीसीआरएस ने कोविड-19 महामारी के दौरान 2 पेटेंट दाखिल किए हैं। श्री सोनोवाल ने कहा, “मुझे यह जानकर भी खुशी हो रही है कि तमिलनाडु सरकार का भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी निदेशालय राज्य भर में 1079 सिद्ध इकाइयों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा प्रदान करके राज्य की इस स्वदेशी चिकित्सा प्रणाली के विकास एवं प्रगति में उत्कृष्ट पहल कर रही है।”

सभा में उपस्थित लोगों को अपने संबोधन के दौरान, आयुष राज्य मंत्री ने कहा, “आध्यात्मिक, मानसिक तथा शारीरिक कल्याण पर केंद्रित सिद्ध प्रणाली की अवधारणाएं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्वास्थ्य की परिभाषा के अनुरूप हैं। आयुष प्रणाली को जन स्वास्थ्य प्रणालियों के साथ जोड़ने से आम लोगों तक स्वास्थ्य सेवा के विकल्प बढ़ेंगे और जन स्वास्थ्य सेवा के वितरण में सुधार हो सकेगा।”

इस अवसर पर विशेष सचिव श्री प्रमोद कुमार पाठक ने कहा, “मंत्रालय ने आईसीएमआर, डीबीटी, सीएसआईआर, एम्स तथा आयुष संस्थानों सहित वैज्ञानिकों के प्रतिनिधित्व में एक अंतःविषय आयुष आरएंडडी टास्क फोर्स का गठन किया और टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर कोविड-19 के लिए आयुष के उपायों को शामिल करते हुए अंतःविषय अध्ययन शुरू किया। स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम संचालित करने के लिए 2015-20 के दौरान कुल 184 नए एएसयूएंडएच कॉलेजों को अनुमति दी गई है, जिसमें तमिलनाडु में सिद्ध मेडिकल कॉलेज शामिल है। इस पहल से स्नातक की अतिरिक्त 16824 सीटें और स्नातकोत्तर की 2258 सीटें उपलब्ध हुई हैं। मुझे यह जानकर बहुत खुशी हो रही है कि सिद्ध अनुसंधान के लिए शीर्ष संगठन सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन सिद्ध (सीसीआरएस) और सिद्ध का प्रमुख शैक्षणिक संस्थान, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सिद्ध (एनआईएस), दुनिया भर में सिद्ध दवा के प्रचार और सत्यापन में उत्कृष्ट तरीके से काम कर रहे हैं।”

आयुर्वेद सलाहकार डॉ. मनोज नेसारी इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की। तमिलनाडु सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विकास के प्रधान सचिव डॉ. जे. राधाकृष्णन, तमिलनाडु सरकार के भारतीय चिकित्सा एवं होम्योपैथी निदेशालय के निदेशक श्री एस. गणेश और संयुक्त निदेशक श्री पी. पार्थिभान विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में उपस्थित थे।

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