न्यूज़ डेस्क : आप मुश्किल परिस्थितियों में क्या करते हैं, कैसे हालातों से उबरते हैं, परेशानियों से लड़ते हैं, ये आपको परिभाषित करता है। विराट कोहली की जिंदगी भी ऐसे ही उतार-चढ़ाव से भरी है। एक 18 साल का लड़का जब दिल्ली की टीम में अपनी जगह पक्की करने के लिए रणजी ट्रॉफी में शतक की ओर बढ़ रहा था तभी एकाएक उसकी सारी खुशियां गम में बदल गई। आज भारतीय टीम की कप्तानी संभाल रहे, दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेटर विराट ने उस दिन अपने पिता को खोया था, लेकिन दृढ़ इच्छाशक्ति, प्रचंड जीवटता ने उन्हें बिखरने की जगह निखरने में मदद की। नंबर एक खिलाड़ी बनने के लिए चीकू ने जी-तोड़ मेहनत की और इस स्थान पर बरकरार रहने के लिए अथक परिश्रम करते हैं।
विराट के पिता यानी प्रेम कोहली। पश्चिमी दिल्ली में रहने वाले एक ईमानदार मध्यमवर्गीय वकील। जिनके लिए उनके बेटे का क्रिकेटर बनने का ख्वाब एक पर्सनल मिशन बन चुका था, अक्सर अपने बेटे को स्कूटर पर बिठाकर मैच के लिए ले जाते थे। विराट ने अरसे बाद बताया कि कैसे उनके पिता प्रेम ने दिल्ली टीम में चयन के लिए रिश्वत देने से साफ इनकार कर दिया था।
सुनील छेत्री से रविवार को इंस्टाग्राम पर बात करते हुए विराट ने कहा कि, ‘मेरे घरेलू राज्य (दिल्ली) में कई बार ऐसी चीजें होती हैं जो ठीक नहीं होती। लोग चयन को लेकर नियमों का पालन नहीं करते। उन्होंने मेरे पिता से कहा कि मेरे भी चयन की क्षमता है, लेकिन थोड़ी रिश्वत मेरे रास्ते आसान कर देगी। मेरे पिता अथक मेहनत से वकील बने थे, उन्होंने साफ कह दिया कि उनका बेटा सिर्फ मैरिट के आधार पर खेलेगा। मेरा चयन नहीं हुआ। मैं बहुत रोया। टूट चुका था, लेकिन उस वाकये ने मुझे सीख दी। मैंने एहसास किया कि मुझे असामान्य बनने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। मेरे पिता ने मुझे सही तरीका दिखाया। सिर्फ मुझे ज्ञान देकर नहीं बल्कि उदाहरण देकर।
अपने पिता की मौत को भी विराट एक सबक की तरह लेते हैं। बकौल कोहली, ‘मैंने उनकी मृत्यु को स्वीकार कर लिया, क्योंकि मैं अपने करियर के साथ आगे बढ़ने पर ध्यान केंद्रित कर रहा था। वास्तव में, मैंने अपने पिता को कंधा देने से पहले रणजी ट्रॉफी मैच में जाकर बल्लेबाजी की। अंपायर के एक खराब फैसले की वजह से शतक से चूक भी गया। उनकी मृत्यु ने एहसास दिलाया कि मुझे अपने जीवन में कुछ बनना है। मैं कई बार सोचता हूं कि अगर मैं अपने पिता को उनके रिटायरमेंट के बाद एक शांतिपूर्ण जीवन दे सकता तो कितना अच्छा होता। कई बार मैं उन्हें याद कर भावुक भी हो जाता हूं।
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