उधमसिंह नगर : बैंक के कर्ज और सीबीआइ जांच के दोहरे दबाव में बाजपुर क्षेत्र के एक किसान ने खुदकशी कर ली। परिजनों ने जहर खाकर जान देने का दावा जरूर किया है, लेकिन किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की जानकारी पुलिस व तहसील प्रशासन को नहीं है। अलबत्ता क्षेत्र में किसान के अवसाद में होने और जहर खाने की चर्चा दिन भर तैरती रही।
ग्राम विक्रमपुर के रहने वाले जगदीश सुबह बिस्तर पर अचेतावस्था में मिले। परिजन उन्हें लेकर एक निजी चिकित्सालय पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मृतक के बेटे भूपेंद्र सिंह के अनुसार उनके पिता ने रात भोजन करने के बाद कोई जहरीला पदार्थ खा लिया। रात में ही उनकी मौत हो गई। सुबह वह सो कर नहीं उठे तब परिवार को आशंका हुई। इस आशंका की बड़ी वजह यह भी कि वह गत सुबह से ही जान दे देने की बात घर वालों से कह रहे थे। उनके बैंक लोन पर आरसी कट गई थी। साथ ही फर्जी बैंक लोन के मामले में वह सीबीआइ जांच की जद में भी थे। इसका उन्हें नोटिस भी आया था। इससे वह गहरे अवसाद में थे। उन्होंने बताया कि गत सुबह उन्होंने आरसी व नोटिस समेत बैंक लोन के कागजात जला दिए थे। रात में यह घटना हो गई।
वहीं पुलिस व प्रशासन को किसान की संदिग्ध मौत से बेखबर है। तहसीलदार केपी सिंह का कहना है कि वसूली आरसी के लिए अमीन जा तो रहे हैं, लेकिन किसी तरह का उत्पीड़न नहीं किया जा रहा है। किसान की मौत की तहसील प्रशासन को जानकारी नहीं है। वहीं बाजपुर कोतवाल बीडी उनियाल ने कहा कि वह सरकारी कार्य से बाहर हैं। कोतवाली पुलिस को किसान की संदिग्ध मौत की न तो सूचना है न ही कोई तहरीर मिली है।
किसान पर दोहरा फंदा
जगदीश ने उत्तराखंड ग्रामीण बैंक से 18 लाख रुपये का ऋण लिया था। अदायगी न कर पाने पर बैंक ने आरसी काट दी थी। इसके बाद से ही वसूली को तहसील के माध्यम से दवाब बनाया जा रहा था। अमीन आए दिन घर आ रहे थे। दूसरी तरफ बैंक द्वारा कम जमीन पर अधिक ऋण देने में फर्जीवाड़े के मामले में एक जांच सीबीआइ देहरादून भी कर रही है।
इस जांच की जद में आए तीस किसानों में जगदीश भी शामिल थे। गत 16 अक्टूबर को उन्हें सीबीआइ ने बयान दर्ज कराने बुलाया भी था। इसके बाद से ही वह और परेशान रहने लगे थे।
News Source: jagran.com
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