चार देशों से आने वाली हर कॉल पर बढ़ा पहरा
किसान आंदोलन में विदेशी ताकतों को रोकने के लिए उठाए कदम
सुरक्षा एजेंसियों की लंबी चौड़ी टीम कर रही है काम
देश की राजधानी दिल्ली में किसान आंदोलन के चलते कनाडा, न्यूजीलैंड, अमेरिका और इंग्लैंड से आने वाली छोटी-बड़ी कॉल्स की निगरानी की जा रही है। इसके अलावा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से किसान आंदोलन की हर बहस को साइबर सेल समेत सुरक्षा एजेंसियां बहुत बारीक नजर से देख रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों समेत साइबर एक्सपर्ट्स की तकरीबन तीन सौ लोगों की समर्पित टीम इस काम को अंजाम दे रही है।
एक मिनट से कम बात करने वाले रडार पर
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक किसान आंदोलन के माध्यम से कोई गड़बड़ न हो इसलिए बाहर खासकर कनाडा, न्यूजीलैंड, यूएसए और यूके से आने वाली कॉल्स की निगरानी बढ़ाई गई है। सूत्रों के मुताबिक जो कॉल बहुत छोटी-छोटी होती हैं, यानी कि दिन में कई बार लेकिन एक मिनट से कम बातचीत वाली होती है उन पर बहुत ज्यादा निगरानी रखी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक कुछ लोगों को ऐसी ही होनी वाली बातचीत के लिए चिन्हित भी किया गया है। उनकी निगरानी की जा रही है। कुछ सुराग मिलते ही उनसे पूछताछ भी होगी।
किसान आंदोलन के लिए खास टीम
वैसे तो किसान आंदोलन पर सुरक्षा एजेंसियों से लेकर खुफिया एजेंसियों की पूरी टीम मुस्तैद है। लेकिन कुछ खास लोगों की टीम हर वक्त इस पर नजर बनाए रहती है। इसमें साइबर एक्सपर्ट्स समेत सुरक्षा एजेंसी और खुफिया एजेंसी के तकरीबन तीन सौ लोग शामिल हैं। जो देश की राजधानी से लेकर अलग अलग प्रान्तों में हैं।
कई राज्यों में बढ़ा ज्यादा पहरा
सुरक्षा एजेंसियां न सिर्फ दिल्ली बल्कि पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और केरल राज्यों में भी ऐसी ही छोटी-छोटी हर कॉल्स की निगरानी कर रही हैं। आंदोलन स्थल के आसपास भी विदेश से आने वाली कॉल्स पर कड़ी नजर रखी जा रही है।
आंदोलन के नेताओं का मूवमेंट हो रहा कैद
किसान आंदोलन में हर छोटे-बड़े नेताओं के मूवमेंट नजर रखी जा रही है। इस पूरे मूवमेंट पर निगरानी करने वाली टीम से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया आंदोलन से जुड़े हर नेता को उनके सोशल मीडिया अकाउंट और स्थानीय खुफिया एजेंसी के इनपुट के आधार पर मॉनिटर किया जा रहा है। अधिकारी का कहना है शांति व्यवस्था बहाली के लिए ऐसा जरूरी है।
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