न्यूज़ डेस्क : दिल्ली में ब्लैक फंगस (म्यूकरमाइकोसिस) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। विभिन्न अस्पतालों में 300 से अधिक मरीज भर्ती हैं। इन मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी की सही समय पर पहचान जरूरी है। कोरोना से ठीक हो रहे या स्वस्थ हो चुके मरीजों के लिए जरूरी है कि वह इसके शुरुआती लक्षणों का ध्यान रखें। अगर चेहरे पर सूजन आ गई है या एक तरफ दर्द कि शिकायत है तो इसको नजर अंदाज न करें। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टरों से संपर्क करें। सही समय पर इलाज से मरीजों को बचाया जा सकता है।
सर गंगाराम अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर ए.के ग्रोवर ने बताया कि अस्पताल में इस समय ब्लैक फंगस के करीब 60 मरीज भर्ती हैं। इनमें कई मरीज ऐसे हैं जिनको चेहरे पर सूजन और एक तरफ दर्द होने की शिकायत हुई थी। उन्होंने बताया कि इनके अलावा इस बीमारी में पलकों का गिरना, नाक से काले रंग का तरल पदार्थ गिरना, आंख का लाल होना, धुंधला दिखना, यह सब लक्षण भी हैं।
डॉ. ग्रोवर के मुताबिक, ब्लैक फंगस एक संक्रामक बीमारी नहीं है। इसलिए इससे घबराने की ज्यादा जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि संक्रमण से स्वस्थ हुए एक फीसदी से भी कम मरीज इससे पीड़ित होते हैं। बस जरूरी है कि लोग शरीर में शुगर का स्तर सही रखें। दिन में दो समय नाक में ड्राप डालते रहें (स्लाइन वाली) और बिना डॉक्टरों कि सलाह के स्ट्राइड न लें।
मास्क ही बचाव है
डॉक्टर के मुताबिक, जिस प्रकार मास्क कोरोना संक्रमण से बचाता है। उसी प्रकार वह ब्लैक फंगस से भी लोगों की सुरक्षा करेगा। क्योकि मास्क लगाने के बाद धूल, मिट्टी या अन्य किसी प्रकार से फंगस शरीर में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इसलिए जरूरी है कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी लोग मास्क लगाना न छोड़ें।
एम्स में बनाया गया अलग वार्ड
ब्लैक फंगस के बढ़ते मरीजों को देखते हुए एम्स (नई दिल्ली) और झज्जर में इन रोगियों के लिए अलग वार्ड कि व्यवस्था कि गई है। इन वार्ड में सिर्फ इस बीमारी से पीड़ित मरीज का इलाज विशेषज्ञ डॉक्टरों की देखरेख में किया जाएगा।
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