अग्रणी विशेषज्ञों ने एक विचार-मंथन सत्र के दौरान विद्युत वाहनों की अनुसंधान एवं विकास आवश्यकताओं पर चर्चा की और इलेक्ट्रिक यानी विद्युत वाहन प्रौद्योगिकी के लिए एक रोड मैप पर विचार-विमर्श किया।
डॉ. अखिलेश गुप्ता, वरिष्ठ सलाहकार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) ने कहा, ’’भारत को 2070 तक कार्बन तटस्थता हासिल करने के लिए, कई क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर अर्थव्यवस्था को कार्बन मुक्त करने की आवश्यकता होगी। उनमें एक क्षेत्र परिवहन है जहां इलेक्ट्रिक वाहनों और हरित हाइड्रोजन में परिवर्तन महत्वपूर्ण होगा।’’ सत्र में विविध हितधारक समूहों की बड़ी भागीदारी की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि डीएसटी ने पिछले कुछ वर्षों में ईवी में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने की दिशा में काफी काम किया है। ऐसे प्रयासों को जारी रखने की जरूरत है।
20 अप्रैल 2022 को डॉ अखिलेश गुप्ता की अध्यक्षता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा दिनभर के विचार-मंथन सत्र का आयोजन किया गया था।
डॉ. के बालासुब्रमण्यम, निदेशक एनएफटीडीसी ने कहा, ’’एक व्यापक प्रौद्योगिकी कार्यक्रम की आवश्यकता है जिसमें ठोस-अवस्था की बैटरी जैसी उपयुक्त बैटरी प्रणालियों का विकास शामिल है, जो उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उच्च परिवेश के तापमान का सामना कर सकती हैं। इसके अलावा, संचालित होने वाले कार्यकलापों की बड़ी संभावना और कार्यक्रम प्रबंधन में कार्यक्रम प्रबंधन में उपयुक्त लचीलेपन की आवश्यकता को देखते हुए, अनुसंधान कार्यक्रमों को विशेष प्रयोजन वाहनों के रूप में आयोजित करने की आवश्यकता है जो कई उद्योगों और शैक्षणिक संस्थानों के साथ समन्वय कर सकते हैं।’’
डॉ. टाटा नरसिंह राव, निदेशक, एआरसीआई ने इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी में शामिल विभिन्न उप-प्रणालियों का विश्लेषण किया और साथ ही बैटरी सिस्टम की सुरक्षा सुनिश्चित करने में शामिल असेंबली और निर्माण प्रक्रियाओं का भी विश्लेषण किया ताकि वे अग्नि सुरक्षा को लेकर खतरों का कारण न बनें। उन्होंने उच्च गुणवत्ता और सुरक्षित बैटरी पैक सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक तत्काल कार्रवाई के संबंध में विस्तार से बताया।
बुनियादी अनुसंधान से लेकर अनुप्रयुक्त अनुसंधान, अनुप्रयोग, इंजीनियरिंग और औद्योगीकरण तक इलेक्ट्रिक वाहन के विभिन्न घटकों के लिए भारत में प्रौद्योगिकी विकास के लिए एक व्यापक रोड मैप पेश करते हुए, प्रोफेसर कार्तिक अथमनाथन, आईआईटी मद्रास ने उन इलेक्ट्रिक वाहन प्लेटफार्मों और मॉडलों की विविधता पर विचार करने पर जोर दिया जो भारत में होगा और कहा कि सभी स्तरों पर काम करने और जबरदस्त प्रौद्योगिकी क्षमता हासिल करने का अवसर है।
श्री साजिद मुबाशीर, वैज्ञानिक डीएसटी ने देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की विभिन्न पहलों में डीएसटी के प्रमुख योगदान के बारे में विस्तार से बताया और इस बात पर प्रकाश डाला कि विभाग ने ईवी चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए आवश्यक भारतीय मानकों के पूर्ण सेट को विकसित करने में मदद की है और हाल ही में स्कूटर और ऑटोरिक्शा जैसे हल्के ईवी के लिए एक सेवा (जिसे बैटरी स्वैपिंग के रूप में भी जाना जाता है) के रूप में बैटरी के लिए मसौदा मानकों का योगदान दिया।
सत्र में भाग लेने वाले मंत्रालयों, अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं, शिक्षाविदों और उद्योग के लगभग 200 हितधारकों ने बैटरी, मोटर और पावर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख ईवी उप-प्रणालियों में क्षमता हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता और वर्ष 2030 तक लगभग 30 फीसदी वाहनों की संख्या तक पहुंचने के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की ओर एक बड़ा बदलाव लाने के सरकार के लक्ष्य को पूरा करने की विभिन्न चुनौतियों से पार पाने के तरीकों पर चर्चा की।
Comments are closed.