बदलेगा मौजूदा ट्रांसपोर्ट सिस्टम : नया सिस्टम तैयार करने में जुटी है कई मंत्रालयों की कमेटी, महँगी हो सकती है यात्रा
न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस का प्रभाव लंबे समय तक रहने के आसार हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कई दूसरे क्षेत्रों के विशेषज्ञ कह चुके हैं कि अब हमें कोरोना के साथ जीने की आदत डालनी होगी। इस बीच केंद्र और राज्य सरकारों ने मौजूदा ट्रांसपोर्ट सिस्टम को बदलने की तैयारी शुरु कर दी है।
जिस नए सिस्टम की बात हो रही है, वह काफी हद तक यूरोप की तर्ज पर रहेगा। बसों में आधी सीटें खत्म होंगी तो वहीं ट्रेन और मेट्रो के फेरे सात गुना तक बढ़ जाएंगे। मेट्रो कोच या ट्रेन की एक बोगी में सोशल डिस्टेंसिंग के चलते यात्रियों की संख्या आधी होगी। टिकट लेने का सिस्टम बदलेगा तो वहीं साइकिल को सबसे ज्यादा तवज्जो मिलेगी। नया सिस्टम यात्रियों की जेब पर भारी पड़ेगा।
नया सिस्टम तैयार करने में जुटी है कई मंत्रालयों की कमेटी…
केंद्र सरकार के ट्रांसपोर्ट, रेलवे, वित्त, शहरी विकास, स्वास्थ्य और गृह मंत्रालय के अधिकारियों की टीम विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि अब जो सिस्टम बनेगा, वह यूरोप की तरह नजर आएगा। सोशल डिस्टेंसिंग के हिसाब से ट्रक व बसें तैयार होंगी।
इनका जीवनकाल भी लंबा रहेगा। हर एक वाहन में हैंड वॉश, सैनिटाइजर, फेस मास्क और दस्ताने आदि की व्यवस्था की जाएगी। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य में नई व्यवस्था के तहत 52 सीट वाली बस में अब 25 यात्री बैठ सकेंगे।
ऐसी स्थिति में यात्रियों को दोगुना किराया देना पड़ेगा। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतरण सिंह अटवाल और झारखंड बस मालिक एसोसिएशन के सचिव किशोर मंत्री भी कह चुके हैं कि इस बाबत बस मालिकों के साथ चर्चा हो रही है। हम चाहते हैं कि सभी राज्यों में कोरोना से बचाव वाला एक समान ट्रांसपोर्ट सिस्टम लागू हो। अब परिवहन सेक्टर में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। जब बसों की सीट आधी होंगी तो किराया भी दोगुना बढ़ेगा।
कोरोना के बाद ये बदलाव देखने को मिलेंगे…
बस स्टैंड या रेलवे स्टेशन की टिकट खिड़की बंद करने पर विचार
ऐसे स्थलों पर थर्मल इमेजिंग कैमरें लगाए जाएंगे
मेट्रो कार्ड की तर्ज पर सभी ट्रांसपोर्ट के लिए एक ही व्यवस्था रहेगी
बस, ट्रेन व आटो में भीड़ नहीं होने दी जाएगी
कंडक्टर टिकट देने की बजाए यात्रियों की सोशल डिस्टेंसिंग पर अधिक ध्यान रखेंगे
गाड़ियों में ड्रॉप बॉक्स होगा, इसमें टिकट का पैसा डालना होगा
टिकट का दाम ऐसा रहेगा, जिसमें खुले पैसे का चक्कर खत्म हो जाएगा
इसके लिए बार कोड आदि की व्यवस्था की जा रही है
बस ट्रेन में बैठने के लिए निशानदेही रहेगी
पेसेंजर ट्रेन के फेरे मेट्रो की तर्ज पर बढ़ेंगे
मेट्रो की फ्रीक्वेंसी छह गुना तक बढ़ानी पड़ेगी
ट्रेनों के फेरे भी 14 गुना बढ़ाए जाएंगे
बसों के ड्राइवर ट्रांसपेरेंट शीशे वाले केबिन में रहेंगे
स्टाफ के लिए मास्क व दस्ताने पहनना अनिवार्य
ट्रेन व बस में स्वास्थ्य कर्मी तैनात रहेंगे
ई पेमेंट और डिजिटल टिकट व्यवस्था लागू होगी
बसों की संख्या तीन गुना तक बढ़ानी पड़ेगी
स्टेशन या बस स्टॉप पर साइकिल लेन बनेंगी
इसके लिए सड़कों पर अलग अलग रंग वाली लेन तैयार होंगी
इन बातों पर विचार कर रही है मंत्रालयों की कमेटी …
केंद्र सरकार की टीम में कई एजेंसियों को शामिल किया गया है; जर्मन डेवेलपमेंट एजेंसी और ‘इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रांसपोर्ट डेवेलपमेंट एंड पॉलिसी‘ भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। केंद्र सरकार में ट्रांसपोर्ट विभाग से जुड़े एक अधिकारी बतातें हैं कि बस, ट्रेन, मेट्रो, टैक्सी और यहां तक कि आटो व ई–रिक्शा के लिए भी नई पॉलिसी बन रही है।
बसों में कोरोना के लक्षणों की रेंडम जांच होगी। लॉकडाउन खुलने के बाद रेलवे द्वारा पहले चरण में केवल लंबी दूरी वाली गाड़ियां चलाई जाएंगी। एक बोगी में यात्रियों की संख्या आधी होगी। इससे किराया भी दोगुना बढ़ सकता है। मई के अंत में या जून के पहले सप्ताह में मेल गाड़ियां चलेंगी। सभी गाड़ियों में से एसी कोच हटाए जा रहे हैं। एक कंपार्टमेंट की 8 सीटों में से तीन–चार पर ही यात्री रहेंगे।
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