न्यूज़ डेस्क : अंतरराष्ट्रीय कॉर्पोरेट कर और निजी कर चोरी के कारण भारत को हर साल करीब 70 हजार करोड़ (10.3 बिलियन डॉलर) का नुकसान होता है। वहीं, अगर पूरी दुनिया की बात करें तो यह नुकसान 427 बिलियन डॉलर से ज्यादा का हो जाता है। एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है।
टैक्स जस्टिस नेटवर्क, ग्लोबल एलायंस फॉर टैक्स जस्टिस और ट्रेड-यूनियन समूह की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना काल में कई देश महामारी से जूझ रहे हैं और सुस्त अर्थव्यवस्था और श्रमिकों का समर्थन कर रहे हैं। ऐसे में कर राजस्व की चोरी करना ठीक नहीं है। कोरोना काल में पैदा हुई मुश्किलों के बीच कर चोरी के मामले भी सामने आए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में सबसे ज्यादा कर का नुकसान हुआ है। यहां एक वर्ष में कर राजस्व में लगभग 90 बिलियन डॉलर की कमी आई है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में तगड़ा झटका लगा है। टैक्स का दुरुपयोग कई देशों को तत्काल आवश्यक कर से वंचित कर रहा है और हम सभी को बेहतर, स्वस्थ, न्यायपूर्ण समाज बनाने से पीछे छोड़ रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर चोरी के कारण गरीब देश अपने कुल कर राजस्व का एक बड़ा हिस्सा खो रहे हैं। उच्च आय वाले देशों में भी इसकी कमी देखी जा रही है।
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