हर दूसरा मोबाइल उपभोक्ता अपनी कंपनी से नाराज़, किया एमएनपी का निवेदन : ट्राई

न्यूज़ डेस्क : मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) सेवा शुरू होने के बाद से अब तक देश के 59.361 करोड़ उपभोक्ताओं ने अपनी मोबाइल सेवा कंपनी बदलने का अनुरोध किया है। इस साल मई माह में 72.80 लाख टेलीफोन उपभोक्ताओं ने एमएनपी के अंतर्गत अपने ऑपरेटर बदलने का अनुरोध किया है। इस समय देश में कुल टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या 119.85 करोड़ है। इस प्रकार देखें तो हर दूसरे मोबाइल फोन उपभोक्ता ने अपनी मोबाइल सेवा कंपनी की सुविधाओं से असंतुष्ट होकर उसे बदलने का अनुरोध किया है। यह संख्या बताती है कि लोग मोबाइल कंपनियों की सेवाओं से बहुत असंतुष्ट हैं और इसमें काफी बदलाव चाहते हैं।

 

 

 

सबसे ज्यादा महाराष्ट्र (4.85 करोड़), राजस्थान (4.33 करोड़), कर्नाटक (4.86 करोड़) और आंध्रप्रदेश (4.66 करोड़) के टेलीफोन उपभोक्ताओं ने एमएनपी के अंतर्गत अपनी सेवा प्रदाता कंपनी को बदलने का अनुरोध किया है। मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) की सुविधा सबसे पहले प्रयोग के तौर पर हरियाणा में 25 नवंबर 2010 से शुरू की गई थी। शेष पूरे देश में यह सुविधा 20 जनवरी 2011 से शुरू हुई थी। 3 जुलाई 2015 से देश के किसी भी हिस्से में जाने पर (यानी मोबाइल सेवा क्षेत्र बदलने पर) भी मोबाइल नंबर वही बनाए रखने की सुविधा मिल गई थी।

 

 

 

कुल उपभोक्ताओं की संख्या में कमी

टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) के आंकड़े बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों से मोबाइल सेवाओं के उपभोक्ताओं की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। ट्राई के आंकड़ों के मुताबिक देश में फोन उपभोक्ताओं की कुल संख्या घटकर 119.85 करोड़ रह गई है। कुल उपभोक्ताओं की संख्या में पिछले महीने के मुकाबले 49.70 लाख उपभोक्ताओं की कमी हुई है। शहरी उपभोक्ताओं की संख्या 66.11 करोड़ रह गई है। इसमें 31.50 लाख उपभोक्ताओं की कमी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या 18.20 लाख कमी के बाद 53.73 करोड़ रह गई है।

 

 

 

देश में मई माह में मोबाइल फोन उपभोक्ताओं की कुल संख्या में 62.73 लाख की कमी आई है, जबकि इसी दौरान 13.03 लाख नए लैंडलाइन कनेक्शन में वृद्धि हुई है। इस प्रकार कुल टेलीफोन उपभोक्ताओं में कमी का आंकड़ा केवल 49.70 लाख ही रह गया है। पश्चिम बंगाल के अलावा देश के हर हिस्से में टेलीफोन उपभोक्ताओं की संख्या में कमी दर्ज की गई है।

देश में टेलीफोन सेवाओं का घनत्व 87.84 फीसदी है। इसमें शहरी क्षेत्र में सेवाओं का घनत्व 140.04 फीसदी तो ग्रामीण क्षेत्र में 60.22 फीसदी है। उपभोक्ताओं के मामले में शहरों में शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी 55 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं की हिस्सेदारी 44 फीसदी है।

 

दिल्ली में टेलीफोन सेवाओं का घनत्व पूरे देश में सबसे ज्यादा है। यहां टेलीफोन घनत्व 279.72 फीसदी है जो राष्ट्रीय घनत्व से तीन गुने से भी ज्यादा है। (दिल्ली के आंकड़ों में एनसीआर के एरिया गाजियाबाद, नोएडा, फरीदाबाद और गुरुग्राम के आंकड़े भी शामिल हैं।) इसके बाद घटते क्रम में हिमाचल प्रदेश, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र और कर्नाटक आते हैं। इन राज्यों में टेलीफोन सेवाओं का घनत्व 100 फीसदी से ज्यादा है।

 

 

 

देश में सबसे कम टेलीफोन घनत्व के मामले में बिहार (53.31 फीसदी) और उत्तर प्रदेश (68.03 फीसदी) आते हैं। यूपी-बिहार के साथ-साथ मध्यप्रदेश, असम, ओडिशा, उत्तर-पूर्व, राजस्थान और पश्चिम बंगाल राष्ट्रीय घनत्व से कम घनत्व वाले राज्य हैं।

 

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