न्यूज़ डेस्क : दुनिया जहां महामारी से जूझ रही है, वहीं अमेरिकियों में नई सनक परवान चढ़ रही है। नागरिक असंतोष फैलने की आशंका में अमेरिकी बंदूकें खरीदने में जुटे हैं। मार्च में अमेरिकियों ने 19 लाख बंदूकें खरीद डालीं। यह दूसरा मौका है जब इस पैमाने पर असलहे खरीदे गए। इससे पहले 2013 में सैंडीहुक प्राथमिक स्कूल में हुए गोलीकांड के बाद असलहे खरीदे गए थे।
महामारी की भयावह स्थिति को देख अमेरिकी बेहद डरे हुए हैं। नागरिकों की मन: स्थिति पर भारी असर हुआ है। उन्हें लगता है कि भविष्य में नागरिक असंतोष के चलते अनिश्चितता बढे़गी और सरकारी तंत्र से उन्हें मदद नहीं मिलेगी। इस कारण वे घरेलू सामान तो थोक में खरीद ही रहे हैं, साथ ही बड़ी संख्या बंदूकें भी खरीद रहे हैं। कई राज्यों में फरवरी के मुकाबले मार्च में बंदूकों की दोगुनी बिक्री हुई। यूटाह और मिशिगन जैसे राज्यों में यह तीन गुना से ज्यादा है।
इन घटनाओं ने बढ़ाई बेचैनी
- पिछले हफ्ते अल्फरेट्टा में एक व्यक्ति ने दो महिलाओं पर केवल इसलिए बंदूक तान दी, क्योंकि उन्होंने मास्क व दस्ताने पहने थे। उसे डर था कि ये महिलाएं उसे संक्रमित कर देंगी। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
- न्यू मैक्सिको में एक व्यक्ति ने गोली चला दी, जिसमें उसका 13 साल का चचेरा भाई मारा गया। उसने पुलिस को बताया कि वह संक्रमण के दौरान अपनी सुरक्षा के लिए बंदूक लाया था।
- मैन में अभियुक्त ठहराए जा चुके व्यक्ति ने महामारी के समय खुद को बचाने के लिए बंदूक रखने का कानूनी दावा किया। पुलिस ने उसके पास से गैर-कानूनी बंदूक बरामद की।
कब और कितने असलहे खरीदे अमेरिकियों ने
- 2001, 11 सितंबर का वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला: 7.54 लाख
- 2009, बराक ओबामा जनवरी में पहली बार राष्ट्रपति बनना: 11 लाख
- 2013, ओबामा का दूसरी बार राष्ट्रपति बनना व सैंडी हुक शूटिंग: 20 लाख
- 2020, कोरोना वायरस महामारी को लेकर भविष्य की आशंका: 19 लाख
अधिकारी परेशान और ट्रंप ने बताया असलहा आवश्यक : असलहों की बिक्री से परेशान कई राज्यों के अधिकारी बंदूक की दुकानों को बंद कराना चाहते हैं। दूसरी ओर इन हथियारों के उद्यमियों की जबरदस्त लॉबिंग की वजह से ट्रंप प्रशासन ने साफ कहा कि असलहा स्टोर किसी फार्मेसी या पेट्रोल पंप की तरह ही आवश्यक कारोबार की श्रेणी में आते हैं।
लोग डरे हुए हैं : लोग यह सोच कर बेचैन व डरे हुए हैं कि अगर संक्रमितों की संख्या बढ़ी और प्रमुख संस्थान सामान्य कामकाज नहीं कर पाए तो बड़े पैमाने पर असंतोष पैदा हो सकता है। उस परिस्थिति को सोच कर खुद की सुरक्षा को लेकर अमेरिकी चिंतित हैं। -प्रो. टिमोथी लिटन, विधि विभाग, जॉर्जिया राज्य विश्वविद्यालय, असलहा उद्योग के जानकार
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