भारत में पर्यावरणीय कारणों और बढ़ती पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की मांग तेजी से बढ़ रही है। 12 अप्रैल 2025 तक, भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में 30% की वृद्धि देखने को मिली है, और विशेषज्ञों का मानना है कि इस साल भारत में रिकॉर्ड संख्या में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हो सकती है।
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती लोकप्रियता
भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य उज्जवल नजर आ रहा है। 2025 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री पिछले साल के मुकाबले 30% अधिक हो सकती है, जिसके पीछे प्रमुख कारणों में पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतें और प्रदूषण की समस्या का समाधान है। इसके साथ ही सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी और नई “फेम-2 योजना” जैसी प्रोत्साहन योजनाओं ने इस क्षेत्र को और बढ़ावा दिया है।
भारत में प्रमुख वाहन निर्माता कंपनियां जैसे टाटा मोटर्स, महिंद्रा, और हुंडई ने अपने इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल लॉन्च किए हैं, जो ग्राहकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। टाटा Nexon EV और महिंद्रा XUV400 EV जैसे वाहन भारतीय बाजार में प्रमुख विकल्प बन चुके हैं।
सरकार की प्रोत्साहन योजनाएं
सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और प्रोत्साहन लागू किए हैं। फेम-2 (FAME-2) योजना के तहत, केंद्र सरकार ने इलेक्ट्रिक वाहनों पर छूट और कर में छूट की पेशकश की है। इसके अतिरिक्त, कई राज्य सरकारों ने भी इलेक्ट्रिक वाहन पर टैक्स में छूट और चार्जिंग स्टेशन की संख्या बढ़ाने के लिए कदम उठाए हैं।
इसके साथ ही, बैटरी स्वैपिंग और फास्ट चार्जिंग नेटवर्क के विकास के लिए भी सरकारी योजनाएं चल रही हैं, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग की समस्या को हल किया जा सके।
पर्यावरणीय लाभ
इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग से भारत में प्रदूषण स्तर में कमी आने की उम्मीद है। यह वाहनों के संचालन में कोई ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन नहीं करते, जिससे वायुमंडल में प्रदूषण का स्तर घटता है। साथ ही, पेट्रोल और डीज़ल के मुकाबले इलेक्ट्रिक वाहनों का संचालन काफी सस्ता है, जो आम जनता के लिए एक आकर्षक विकल्प साबित हो रहा है।
भविष्य में क्या?
विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 में इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री 500,000 यूनिट्स को पार कर सकती है, जो भारतीय बाजार के लिए एक बड़ा मील का पत्थर होगा। इसके साथ ही, भारत में स्मार्ट चार्जिंग नेटवर्क और इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार होने से इलेक्ट्रिक वाहनों की सवारी और भी सुलभ और किफायती हो जाएगी।
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