निर्वाचन प्रबंधन निकाय (ईएमबी) सामूहिक कार्रवाई द्वारा लोकतांत्रिक मानकों और प्रक्रियाओं को मजबूत बनाएंगे: निर्वाचन आयुक्‍त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय

‘निष्पक्ष निर्वाचन’ के लिए साझेदारी के अगुआ के रूप में निर्वाचन आयोग द्वारा ‘ईएमबी की भूमिका, प्रारूप और क्षमता’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन

‘निष्पक्ष निर्वाचन’ के लिए साझेदारी के अगुआ के रूप में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा ईएमबी की भूमिकाप्रारूप और क्षमता‘ विषय पर आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन समारोह की आज निर्वाचन आयुक्त श्री अनूप चन्द्र पाण्डेय ने अध्यक्षता की।

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समापन समारोह को संबोधित करते हुए निर्वाचन आयुक्‍त श्री पाण्डेय ने कहा कि यद्यपि चुनाव लोकतंत्र की कुंजी हैं, लेकिन निर्वाचन प्रबंधन निकायों (यानी ईएमबी) की चुनाव संपन्‍न कराने की कार्यात्मक दक्षता की गुणवत्ता उनकी चुनौतियों का समाधान करने और स्वतंत्रता बनाए रखने में कार्यकुशलता पर निर्भर करती है। उन्होंने समस्‍त ईएमबी से लोकतांत्रिक मानदंडों व प्रक्रियाओं को मजबूत बनाने और सामूहिक कार्रवाई के लिए सभी उपयुक्‍त मंचों का लाभ उठाने का आग्रह किया।

निर्वाचन आयुक्‍त श्री पाण्डेय ने वैश्विक स्तर पर ईएमबी के समक्ष आ रही ध्रुवीकरण, राजनीतिक दलों द्वारा जनसाधारण को लुभाने के प्रयास, मतदाताओं की उदासीनता जैसी उभरती चुनौतियों को रेखांकित करते हुए इनके समाधान के लिए सुव्‍यवस्थित तरीके से आपसी सहयोग, निरंतर संबद्धता और नियमित आधार पर जानकारी साझा करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मतदाता सूचियों का प्रबंधन, मतदान प्रबंधन, चुनावी प्रौद्योगिकी, मिथ्या सूचनाओं पर नियंत्रण, फेक न्‍यूज, साइबर सुरक्षा तथा स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव संपन्‍न कराने से जुड़े सभी पहलुओं पर वैश्विक मानक और एसओपी तैयार करने की आवश्यकता है।

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श्री पाण्डेय ने कहा कि अधिक से अधिक लोकतांत्रिक देशों को साथ लाने का प्रयास इस तरह किया जाना चाहिए कि वे चुनावी लोकतंत्र को मजबूत करने के कार्य में शामिल और संलग्न हो सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि जरूरतमंद ईएमबी को क्षमता निर्माण के लिए अधिक प्रभावी सहायता देने हेतु भागीदार संगठनों की भूमिकाओं को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है।

पिछले दो दिनों के दौरान, तीन सत्रों में व्‍यापक विचार-विमर्श किया गया।

‘निष्पक्ष निर्वाचन’ सुनिश्चित करने के लिए ईएमबी की भूमिका और प्रारूप के संदर्भ में पहला सत्र “ईएमबी के समक्ष आने वाली वर्तमान चुनौतियां” विषय पर मॉरीशस के निर्वाचन आयुक्त की अध्यक्षता में आयोजित किया गया। इस सत्र में मैक्सिको, चिली, नेपाल और यूनान के निर्वाचन अधिकारियों ने अपनी प्रस्तुतियां पेश कीं। अध्यक्ष ने सत्र का समापन करते हुए स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी और विश्वसनीय चुनाव कराने के लिए ईएमबी और निर्वाचन प्राधिकरणों द्वारा की गई पहल की सराहना की और कहा कि एक दूसरे की अच्छी पद्धतियों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

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‘भविष्य की चुनौतियां’ विषय पर आयोजित दूसरे सत्र की सह-अध्यक्षता सेक्रेटरी जनरल, इंटरनेशनल आइडिया और हेलेनिक गणराज्य, यूनान के निर्वाचन एवं राजनीतिक दलों संबंधी विभाग के प्रमुख, निर्वाचन निदेशालय, आंतरिक मंत्रालय ने की। इस सत्र में ऑस्ट्रेलियाई निर्वाचन आयोग और सीओएमईएलईसी, फिलीपींस के प्रतिनिधियों ने अपनी प्रस्तुतियां पेश कीं। सत्र में कहा गया कि निर्वाचन अधिकारियों को डिजिटल प्रौद्योगिकियों की उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहने और सबसे बढ़कर ईएमबी को अपने मुख्य कार्यों के सुचारु प्रबंधन में लचीलापन लाने की जरूरत है।

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आईएफईएस के प्रेजिडेंट और सीईओ ने ‘ईएमबी की क्षमता’ विषय पर आयोजित तीसरे सत्र की अध्यक्षता की। सत्र में आईएफईएस के कंट्री डायरेक्‍टर (श्रीलंका और बांग्लादेश), यूएनडीपी के प्रतिनिधि और मतदाता सूची एवं परिणाम विभाग के प्रमुख, निर्वाचन निदेशालय, आंतरिक मंत्रालय, हेलेनिक गणराज्य, यूनान ने प्रस्तुतियां पेश कीं।

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आईएफईएस के प्रेजिडेंट और सीईओ ने निष्पक्ष निर्वाचन को सुरक्षित रखने के लिए ताकत और कमजोरियों पर गौर करने तथा एक दूसरे से सीखने के लिए आवश्‍यक नए परिप्रेक्ष्‍यों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ईएमबी पर जानबूझकर हमले, गलत सूचना, मिथ्‍या सूचना सहित खतरों की पहचान किए जाने की आवश्यकता है, क्योंकि नई प्रौद्योगिकियों द्वारा सामाजिक एकजुटता को प्रभावित किए जाने के साथ बहुत कुछ बदल गया है। वक्ताओं ने कहा कि ईएमबी निष्पक्ष निर्वाचन के संरक्षक हैं, इसलिए उनको प्रक्रियाओं के कुशल संचालन से बढ़कर अपनी भूमिका पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है और इस प्रकार ईएमबी की क्षमताओं, अधिकार, जवाबदेही और स्वतंत्रता को तदनुसार नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है।

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