नई दिल्ली: इस साल आर्थिक विकास दर पिछले साल से बेहतर रहेगी. यह उम्मीद संसद में सोमवार को पेश किए गए आर्थिक सर्वे में जताई गई है. साल 2018-19 के लिए विकास दर 7 से 7.5% तकरहने की उम्मीद की जा रही है.
नए वित्तीय वर्ष में जीडीपी विकास दर में मामूली सुधार का अनुमान है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को संसद में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जिसके मुताबिक 2018-19 में आर्थिक विकास दर 7 से 7.5% के बीच रहने की उम्मीद है. हालांकि कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी को लेकर आर्थिक सर्वेक्षण में चिंता जताई गई है.
2017-18 की 6.75% विकास दर के मुकाबले नए वित्तीय वर्ष में आर्थिक विकास दर 7.5 % तक हो सकती है. अर्थव्यवस्था में माहौल सही नहीं रहा तो भी विकास दर 7 फीसदी तक रह सकती है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में यह दावा किया है.
वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने एनडीटीवी इंडिया से कहा, “अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है. 2018 में विकास दर 2017 के मुकाबले बेहतर रहेगी. इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन बढ़ रहा है, निर्यात बढ़ रहा है. बिज़नेस कॉन्फिडेंस में सुधार हुआ है. मुझे उम्मीद है कि 2018 में इस सबका असर दिखेगा.”
लेकिन सबसे बड़ी चुनौती अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगा होता कच्चा तेल है. वित्त मंत्रालय के मु्ख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यम का कहना है कि तेल के दाम बढ़ेंगे तो जीडीपी घटेगी. उन्होंने कहा है कि क्रूड आइल के दाम में हर 10 डॉलर की बढ़ोत्तरी से जीडीपी ग्रोथ पर 0.2% से 0.3% तक असर पड़ता है.
सरकार को उम्मीद थी कि कच्चा तेल 60 डॉलर प्रति बैरल से ज़्यादा महंगा नहीं होगा, लेकिन सरकार का यह अनुमान गलत साबित हुआ. अब 2018-19 में अगर कच्चा तेल उम्मीद से ज़्यादा महंगा होता है तो सरकार को इससे निपटने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी. इसका सीधा मतलब यह भी होगा कि इसकी वजह से देश में पेट्रोल-डीज़ल और महंगा हो सकता है.
साफ है कि कई मोर्चों पर सरकार को फूंक-फूंक कर कदम रखते हुए आगे बढ़ना होगा. फिलहाल राहत की बात यह है कि जीएसटी से रेवेन्यू कलेक्शन में बढ़ोत्तरी हुई है. मुख्य आर्थिक सलाहकार को उम्मीद है कि 2018-19 में जीएसटी की दरें कम होंगी और रेवेन्यू कलेक्शन में और सुधार होगा.
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