2020 में हर तीसरे दिन आये देश में भूकंप के झटके, कुल 965 बार आया भूकंप

न्यूज़ डेस्क : देश की राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत में शुक्रवार देर रात साल 2021 आने के बाद पहली बार भूकंप का झटका महसूस किया गया। पिछले साल देश में कई बार लोगों ने छोटे-बड़े भूकंप के झटके महसूस किए, कई धरती के थर्राने पर लोग घर और दफ्तरों से बाहर निकल कर सुरक्षित जगहों पर पहुंचे। आइए जानते हैं कि देश कितनी बार थर्राया… 

 

 

2020 में 1 जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक भारत की धरती 965 बार हिली। अगर हर दिन के हिसाब से देखा जाए, तो एक दिन में तीन बार धरती हिली। नेशनल सेंटर ऑफ सीस्मोलॉजी (एनसीएस) की तरफ से पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को दिए गए भूकंप के आंकड़े से यह जानकारी मिली। इन 965 भूकंप के झटकों में से 13 झटके दिल्ली-एनसीआर में महसूस किए गए। ये सभी 965 झटके 3 तीव्रता या उससे ऊपर के थे।

 

 

22 जुलाई को लगा था सबसे तगड़ा झटका 

पिछले साल 6.0 तीव्रता के दो ही झटके महसूस हुए। जबकि 25 बार 5.0 से 6.0 तीव्रता के बीच के भूकंप आए थे। 4 से 5 तीव्रता के बीच 355 भूकंप आए थे। 3 से 4 तीव्रता के 388 भूकंप और 2 से 3 तीव्रता के 108 भूकंप देश में महसूस किए गए।भारत में जो सबसे तेज भूकंप महसूस किया गया था, वो 22 जुलाई को चीन के शिजांग इलाके में आया था। इसकी तीव्रता 6.4 थी।

 

 

इस कारण आता है भूकंप

भूगर्भशास्त्रियों का मानना है कि इस समय धरती की टेक्टोनिक प्लेटें खिसक रही हैं, जिसकी वजह से इतने भूकंप आ रहे हैं। देश के बड़े इलाकों में ये महसूस किए गए। लोग डरे भी। कुछ जगहों पर हल्का-फुल्का नुकसान भी देखने को मिला, लेकिन अच्छी बात ये रही कि किसी के मरने या घायल होने की खबर नहीं आई। विशेषज्ञों का मानना है कि कई बार दो टेक्टोनिक प्लेटों की बीच में बनी गैस या प्रेशर जब रिलीज होता है, तब भी हमें भूकंप के झटके महसूस होते हैं। ये हालात गर्मियों में ज्यादा देखने को मिलते हैं। 

 

 

भूकंप स्टेशन बताएंगे धरती की हलचल

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि नेशनल सीस्मोलॉजिकल नेटवर्क साल 2021-22 में 35 फील्ड स्टेशन लगाने जा रहा है। इसके साथ ही देश में कुल 150 भूकंप स्टेशन हो जाएंगे, जो धरती की हलचलों के बारे में सूचना देंगे।

 

 

देश को चार भूकंप जोन में बांटा

डॉ. हर्षवर्धन ने बताया कि देश को चार भूकंप जोन में बांटा गया है। जोन-5 यानी सबसे ज्यादा भूकंपीय गतिविधियों वाला स्थान। इसमें कश्मीर घाटी का हिस्सा, हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी हिस्सा, उत्तराखंड का पूर्वी हिस्सा, गुजरात का कच्छ, उत्तरी बिहार, सभी उत्तर-पूर्वी राज्य और अंडमान-निकोबार आते हैं। वहीं जोन-4 में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर का कुछ हिस्सा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के कुछ हिस्से, दिल्ली, सिक्किम, यूपी का उत्तरी हिस्सा, बिहार और पश्चिम बंगाल का कुछ हिस्सा, गुजरात और महाराष्ट्र का पश्चिमी हिस्सा और राजस्थान का सीमाई इलाका आता है।

 

 

जोन-3 में केरल, लक्षद्वीप, उत्तर प्रदेश का निचला इलाका, गुजरात-पंजाब के कुछ हिस्से, पश्चिम बंगाल का हिस्सा, मध्यप्रदेश, उत्तरी झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक आदि आते हैं। जबकि जोन-2 यानी सबसे कम भूकंपीय गतिविधि वाला जोन है। इसमें कई राज्यों के कुछ छोटे-छोटे हिस्से आते हैं।

 

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