नई दिल्ली । दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद का अनशन तो रविवार को टूट गया, लेकिन इस दौरान दिल्ली सरकार की दूरियां बहुत से सवालों एवं कयासों को भी जन्म दे गई। प्रधानमंत्री पर निशाना साधने के लिए तो अनशन के दौरान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित आप सरकार के तमाम मंत्री एवं विधायक समता स्थल पहुंचते रहे मगर अनशन टूटने के दौरान पूरा मंत्रिमंडल स्वाति से दूरी बना गया।
इस मौके की नजाकत देखिए, एक ओर स्वाति पीएम के निर्णयों पर खुश नजर आई तो दूसरी ओर अपनी ही पार्टी की इस बेरूखी से आहत भी दिखाई दी। दस दिन तक चले स्वाति के अनशन में आम आदमी पार्टी ही नहीं, भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराजगी रखने वाले अन्य दलों के कई राष्ट्रीय नेता भी समता स्थल पहुंचे।
अनशन के इस मंच को सभी ने परोक्ष एवं अपरोक्ष रूप से केंद्र सरकार को गरियाने का ही माध्यम बनाया। लेकिन जब यह मौका ही हाथ से जाता रहा तो गैर क्या, अपने भी स्वाति से दूर हो गए। स्वाति ने अनशन तोडऩे का कार्यक्रम एक दिन विलंब से रखा ही इसीलिए था ताकि इस दौरान बेहतर माहौल बन सके।
लेकिन सत्ता पक्ष से विधायक सोमनाथ भारती और वंदना कुमारी सहित कई विधायक-पार्षद तो पहुंचे, जबकि मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और अन्य सभी मंत्री इससे दूर नजर आए। स्वाति की सरकार से इस दूरी को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं।
कहा जा रहा है कि स्वाति द्वारा की गई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ आप सरकार को हजम नहीं हुई। हालात भी ऐसे बन गए कि अगर वे आते भी तो जान अनजाने प्रधानमंत्री के निर्णय की सराहना उन्हें भी करनी पड़ ही जाती। इसलिए इससे दूरी बनाने में ही भलाई समझी गई।
सूत्र यह भी बताते हैं कि अनशन की समाप्ति पर स्वाति से सरकार की दूरी आप की रणनीति का हिस्सा कही जा सकती है। ऐसा करके स्वाति की छवि को बतौर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष सक्रिय राजनीति से दूर रखने की कोशिश की गई है।
मंशा यह कि आगामी विधानसभा-लोकसभा चुनाव में इस छवि को भुनाया जा सके। बहरहाल, वजह चाहे जो रही हो, लेकिन सरकार की अनुपस्थिति चर्चा का विषय तो बनी ही रही है। इस सारे प्रकरण पर आलम यह रहा कि स्वयं स्वाति से भी इस पर कुछ कहते नहीं बना। वह न तो फोन पर आईं और न ही इस बाबत उन्हें भेजे गए मैसेज का ही उन्होंने कोई जवाब दिया।
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