नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नियमों को सख्त करने से विदेशी निवेशकों के स्वामित्व वाली ई-कॉमर्स कंपनियां संकट में आ गई हैं। उपभोक्ताओं को जहां अब सस्ती कीमत पर सामान नहीं मिलने की चिंता सता रही है, वहीं घरेलू रिटेलरों के बीच उल्लास का माहौल है। एफडीआई नीति में अप्रत्याशित बदलाव के कारण भारत में भारी निवेश करने वाली अमेजॉन और वॉलमार्ट जैसी कंपनियां बेहद परेशान हैं,केन्द्र सरकार के इस फैसले के बाद इस क्षेत्र में नौकरियों पर भी तलवार लटक सकती है।
इस बारे में अमेजॉन इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, एक तरफ आप निवेश का आह्वान करते हैं, तो दूसरी तरफ बिना किसी परामर्श के रातोंरात पॉलिसी में बदलाव कर देते हैं। यह ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की अवधारणा के खिलाफ है। सूत्रों ने बताया कि सरकार द्वारा नया सर्कुलर जारी करने के बाद छुट्टियों के सीजन के बावजूद अमेरिका के सिएटल में ऐमजॉन के कार्यालय में गहमागहमी का माहौल देखा गया। वहीं सरकार के इस फैसले से उपभोक्ताओं के लिए यह एक बड़ा झटका है और अगर पॉलिसी का सख्ती से पालन किया गया, तो डिजिटल मार्केटप्लेस पर डिस्काउंट, कैशबैक और भारी तादाद में सामनों की बिक्री का दौर खत्म हो सकता है।
घरेलू ऑफलाइन रिटेलर खुश
वहीं ई-कामर्स कंपनियों के कारण कारोबार में मंदी की मार झेल रहे घरेलू रिटेलरों ने सरकार के कदम का स्वागत किया है। ये रिटेलर कई बार सरकार से ई-कंपनियों के खिलाफ शिकायत भी कर चुके हैं। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘सरकार द्वारा हाल में ई-कॉमर्स कंपनियों पर लगाम लगाने से बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होगी और सभी दूसरे बिजनस मॉडल के रूप में ई-कॉमर्स के अपनाएंगे। अब ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों व्यापारी अपने सामानों को ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेचने में सक्षम होंगे।’
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