जल जीवन मिशन के तहत राजस्थान के लिए 6,872 करोड़ रुपए लागत की पेयजल आपूर्ति योजनाओं को मंजूरी

इन योजनाओं से 3,213 गांवों में 6.56 लाख परिवार लाभान्वित होंगे

राज्य स्तरीय योजना स्वीकृति समिति (एसएलएसएससी) की 5 जनवरी, 2022 को आयोजित बैठक में जलजीवन मिशन के तहत राजस्थान के लिए 6,872.28 करोड़ रुपये लागत की पेयजल आपूर्ति योजनाओं को मंजूरी दी गई। इन योजनाओं से 27 जिलों में स्थित 3,213 गांवों में 6.56 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल से पानी उपलब्ध कराया जाएगा। इन योजनाओं में से 5 बहु ग्राम प्रमुख परियोजनाएं और शेष एकल ग्राम योजनाएं हैं।

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हर ग्रामीण परिवार को पीने का स्वच्छ पानी सुनिश्चित करने और महिलाओं और लड़कियों को दूर से पीने का पानी लाने के कष्ट से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के विजन को मूर्त रूप देने के लिए जल जीवन मिशन ने वर्ष 2021-22 में राजस्थान को 2,345.08 करोड़ रुपए की केंद्रीय अनुदान सहायता जारी की है। इस वर्ष केंद्रीय जलशक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जल जीवन मिशन को लागू करने के लिए राज्य को 10,180.50 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। यह राशि पिछले साल के आवंटन से चार गुणा अधिक है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने दिसम्बर, 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल से पानी की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए राज्य को पूरी सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है।

15 अगस्त, 2019 को जलजीवन मिशन के शुभारंभ के समय राज्य में केवल 11.74 लाख (11.57 प्रतिशत) ग्रामीण घरों में नल से पानी की आपूर्ति हो रही थी। पिछले 28 महीनों में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद राज्य ने 10.5 लाख (10.3 प्रतिशत) घरों में नल से पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराए हैं। अब तक राज्य के 1.01 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 22.23 लाख (21.92 प्रतिशत) परिवारों को नल से पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य की 2021-22 में 30 लाख घरों में नल के पानी के कनेक्शन उपलब्ध कराने की योजना है।

एनजेजेएम टीम ने अपनी बैठक में त्वरित कार्यान्वयन, कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, प्रभावी सामुदायिक योगदान की आवश्यकता पर जोर देते हुए राज्य को जल आपूर्ति योजनाओं में समग्रता के माध्यम से ग्रे-वाटर प्रबंधन के प्रावधान को शामिल करने की सलाह दी है, क्योंकि यह जल जीवन मिशन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है। .

देश के स्कूलों, आश्रमशालाओं और आंगनबाडी केन्द्रों में बच्चों को नल का सुरक्षित जल सुनिश्चित करने के लिए शिक्षण केन्द्रों में पीने, दोपहर का भोजन पकाने, हाथ धोने और शौचालयों में नल का पानी उपलब्ध कराया जाना आवश्यक है। राजस्थान में 58,363 स्कूलों (67 प्रतिशत) और 28,959 आंगनबाड़ी केंद्रों (54 प्रतिशत) को उनके परिसरों में नल से पानी की आपूर्ति उपलब्ध कराया गई है। एसएलएसएससी की 31वीं बैठक में 2,885 स्कूलों और 418 आंगनबाड़ी केंद्रों को नल से जल उपलब्ध कराने के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। राज्य ने बकाया स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों को जल्द से जल्द नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है।

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जलजीवन मिशन के तहत जल गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों, आकांक्षी जिलों, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति बाहुल्य गांवों, एसएजीवाई गांवों को प्राथमिकता दी जा रही है। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के अनुरूप काम करते हुए, जल जीवन मिशन का आदर्श वाक्य है, ‘कोई भी छूटा नहीं है,’ और इसका उद्देश्य पीने योग्य नल के पानी की सार्वजनिक पहुंच है। जल गुणवत्ता देखभाल और निगरानी गतिविधियों को प्राथमिकता दी जा रही है। इसके लिए प्रत्येक गांव में 5 महिलाओं को फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करते हुए पेयजल स्रोतों और बिंदुओं के नियमित और स्वतंत्र परीक्षण के प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अभी तक 3,474 गांवों में 16,806 महिलाओं को एफटीके का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है।

वर्ष 2019 में इस मिशन की शुरुआत में देश के कुल 19.2 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से केवल 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) को ही नल से जल की आपूर्ति हो रही थी। पिछले 28 महीनों के दौरान कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन व्यवधानों के बावजूद जल जीवन मिशन को तेजी से लागू किया गया है। आज 5.53 करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल से जल के कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। वर्तमान में पूरे देश में 8.77 करोड़ (45.57 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों में नल से जल की आपूर्ति हो रही है।

गोवा, तेलंगाना, हरियाणा राज्यों एवं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और पुडुचेरी, दादर नगर हवेली तथा दमन और दीव केंद्र शासित प्रदेशों के शत-प्रतिशत घरों में नल से जल के कनेक्शन सुनिश्चित किए गए हैं। वर्तमान में 87 जिलों के प्रत्येक घर और 1.30 लाख से अधिक गांवों के घरों में नल से जल उपलब्ध हो रहा है।

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