न्यूज़ डेस्क : देश के लिए कोविड की पहली दवाई खोजने वाले डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ अनंत नारायण भट्ट का कहना है कि इस टू डी-ऑक्सी डी ग्लूकोज दवा की कीमत सामान्य रहेगी। मेडिसिन के प्रोडक्शन के साथ ही कीमत और कम हो जाएगी। यह समाज के हर तबके लिए उपलब्ध कराई जाएगी। इस दिशा में काम चल रहा है। गोरखपुर निवासी डॉ अनंत नारायण भट्ट डीआरडीओ के नाभिकीय औषधि एवं संबल विज्ञान संस्थान में वरिष्ठ विज्ञानी हैं। डॉ अनंत ने 1994 में किसान इंटरमीडिएट कॉलेज गगहा से इंटर की पढ़ाई पूरी की है। बीएससी बायोलॉजी बस्ती के शिवहर्ष किसान पीजी कॉलेज से किया है। एमएसएसी जैव रसायन डॉ राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय अयोध्या तो पीएचडी सीडीआरआई लखनऊ से किया है।
2005 में डीआरडीओ से जुड़े हैं। इस समय नई दिल्ली में तैनाती है। डॉ अनंत पत्नी सारिका और बेटियों अनुकृति व आकृति के साथ दिल्ली में रहते हैं। छोटे भाई बृजेश नारायण भट्ट विज्ञानी हैं। गगहा के कौवाडील गांव में डॉ अनंत के चाचा रहते हैं। डॉ अनंत की माता का 2005 और पिता का 2015 में निधन हो गया है। डॉ अनंत की उपलब्धि से कौवाडील के लोग उत्साहित हैं। उनका कहना है कि गांव के लाल ने देश-दुनिया में नाम रोशन किया है।
केमिकल नाम टू डी-ऑक्सी डी ग्लूकोज
विज्ञानी के मुताबिक कोविड मेडिसिन का केमिकल नाम टू डी-ऑक्सी डी ग्लूकोज है। इसे हैदराबाद की डाक्टर रेड्डीज लैब के साथ मिलकर तैयार किया गया है। बाजार में आने से पहले डॉक्टर रेड्डीज मेडिसिन का नामकरण भी कर सकती है।
मार्च तक चला है तीसरे चरण का ट्रायल
ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) ने जिस कोविड मेडिसिन के इस्तेमाल की आपात मंजूरी दी है, उसके दूसरे फेज का ट्रायल मई से अक्तूबर 2020 तक चला है। तीसरे फेज का ट्रायल नवंबर 2020 से मार्च 2021 चला। सैकड़ों मरीजों को दवा दी गई। जो नतीजे सामने आए, उसके साथ ही डीजीसीआई से इस्तेमाल की अनुमति मांगी गई।
वायरस के मल्टीपिकेशन को रोकती है मेडिसिन
डॉ अनंत के मुताबिक कोविड मेडिसिन वायरस के प्रभाव को कम करती है। वायरस जिन कोशिकाओं को प्रभावित करती है, वहां जाकर मेडिसिन वायरस के मल्टीपिकेशन को रोक देती है। क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को भी सुरक्षा प्रदान करती है।
युवा व बुजुर्गों पर समान रूप से असरदार
डॉ. अनंत के मुताबिक कोविड मेडिसिन युवाओं की तरह ही बुजुर्गों को राहत प्रदान करेगी। जिन कोरोना संक्रमितों को मेडिसिन दी गई, उनमें से 42 फीसदी को तीन से चार दिन में राहत मिल गई है। इसमें युवा, बुजुर्ग मरीज शामिल हैं। ऑक्सीजन लेवल कम होने और सांस लेने की दिक्कत भी नहीं रही है। बुखार व खांसी से भी निजात मिल गई।
अधिकतम एक सप्ताह खानी होगी मेडिसिन
डीआरडीओ के विज्ञानी के मुताबिक कोविड मेडिसिन पानी में घोलकर ली जाएगी। आधा या एक गिलास पानी में मेडिसिन घोल दें, फिर भोजन से पहले सेवन कर लें। यह सिलसिला सुबह-शाम चलेगा। अधिकतम सात दिन तक मेडिसिन खानी है। तीन से चार दिन में आराम मिल जाए तो मेडिसिन खाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
बच्चों को भी दी जा सकेगी मेडिसिन
डॉ भट्ट के मुताबिक जैसे ही डीजीसीआई से मेडिसिन के नियमित इस्तेमाल की मंजूरी मिलेगी, वैसे ही दवा का लाभ बच्चों को भी मिलने लगेगा। यह प्रक्रिया अगले दो महीने में पूरी हो सकती है। इसका क्लीनिकल ट्रायल 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों पर जरूर किया गया है, लेकिन बच्चों के लिए नुकसानदेह नहीं है। बच्चे भी कोविड मेडिसिन ले सकेंगे।
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