डॉ. भारती पवार ने वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज और सफदरजंग अस्पताल में कांप्रिहेन्सिव रिससिटेशन ट्रेनिंग सेंटर का उद्घाटन किया

“त्वरित स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए सभी को बुनियादी जीवन-कौशल की जानकारी होनी चाहिए क्योंकि आपात स्थिति में हर मिनट मायने रखता है”

“बड़ी संख्या में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) प्रशिक्षित आम लोगों की उपलब्धता समय की आवश्यकता है क्योंकि वे किसी भी चिकित्सीय आपात स्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया करने वाले होते हैं”

केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, डॉ. भारती प्रवीण पवार ने आज वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल (एसजेएच) में एक कांप्रिहेन्सिव  रिससिटेशन ट्रेनिंग सेंटर (व्यापक पुनर्जीवन प्रशिक्षण केंद्र-सीआरटीसी) का उद्घाटन किया।

जीवन रक्षण कौशल (एलएसएस) पर प्रशिक्षित होने वाला पहले बैच का आज अभिविन्यास कार्यक्रम भी था।

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इस प्रशिक्षण के महत्व पर जोर देते हुए, डॉ. पवार ने कहा, “आपातस्थिति में रोगियों के जीवन को बचाने के लिए सभी स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं का प्रशिक्षण एक सतत प्रक्रिया है और आदर्श रूप से किसी भी अस्पताल में काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को न केवल इन जीवन रक्षक कौशलों को सीखना चाहिए बल्कि समय-समय पर इन जीवन रक्षण कौशलों के बारे में नयी जानकारी पाते भी रहना चाहिए। इन जीवन रक्षण कौशलों को प्राप्तकर्ताओं की जरूरतों के अनुरूप बनाया जाना चाहिए और इसे हासिल करना आसान होना चाहिए ताकि डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ (अर्धचिकित्सा कर्मी) को तदनुसार प्रशिक्षित किया जा सके।”

उन्होंने साथ ही कहा, “सभी स्वास्थ्य कर्मियों को बुनियादी जीवन रक्षण कौशल के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि त्वरित और उचित कार्रवाई किसी का जीवन बचा सकती है। जन जागरूकता पैदा करना और आम जनता को विशेष रूप से युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करना, पीड़ित को तत्काल सहायता प्रदान करने में सहायक हो सकता है। घटनास्थल पर मौजूद लोगों द्वारा पर्याप्त और समय पर हस्तक्षेप एक ऐसे मरीज की जान बचा सकता है, जिसके दिल ने धड़कना बंद कर दिया हो, क्योंकि हर मिनट मायने रखता है।”

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डॉ. पवार ने बताया कि पर्याप्त गति और गहराई पर छाती दबाने जैसी सरल प्रक्रियाएं किसी को भी सिखाई जा सकती हैं और ये रोगी की मदद कर सकती हैं तथा यदि चिकित्सा सहायता उपलब्ध होने तक यह जारी रहता है तो उसके बचने की संभावना बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) प्रशिक्षित आम लोगों की उपलब्धता समय की आवश्यकता है क्योंकि वे चिकित्सा आपातकाल की स्थिति में सबसे पहले प्रतिक्रिया करने वाले होते हैं।

डॉ. पवार ने जोर देकर कहा कि सहानुभूति और पूरी करुणा के साथ देखभाल भी रोगी को दिए जाने वाले उपचार की आधारशिला है। उसने कहा, “यह स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और देखभाल टीम के प्रत्येक सदस्य की मुख्य जिम्मेदारी है। मरीज अपने समय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नर्सों, चिकित्सा सहायकों और रिसेप्शनिस्ट के साथ बातचीत करने में बिताते हैं। ये बातचीत रोगियों के प्रति करुणा और सहानुभूति प्रदर्शित करने के कई अवसर प्रदान कर सकती है। इसलिए, सहायक कर्मचारियों को मरीजों की सहानुभूतिपूर्ण और संवेदनशीलता के साथ देखभाल करने के लिए प्रशिक्षण, प्रोत्साहन और इसे तय करना, रोगी के समग्र अनुभव को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित करेगा।”

इस कार्यक्रम में उपस्थित महत्वपूर्ण लोगों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. सुनील कुमार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय के प्रधान परामर्शदाता डॉ. सुनील गुप्ता,वर्धमान महावीर मेडिकल कॉलेज (वीएमएमसी) और सफदरजंग अस्पताल (एसजेएच) के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एस वी आर्य,इंडियन रिससिटेशन काउंसिल (आईआरसी) के अध्यक्षडॉ. एस एस सी चक्र राव, वीएमएमसी और एसजेएचकी प्रिसिंपल डॉ. गीतिका खन्ना, वीएमएमसी एवं एसजेएच के एनेस्थीसिया एंड इंटेंसिव केयर विभाग प्रमुख डॉ. जी उषा, वीएमएमसी एवं एसजेएच के एनेस्थीसिया एंड इंटेंसिव केयर विभाग की परामर्शदाता डॉ. निक्की सभरवाल, आईआरसीके वैज्ञानिक निदेशक, और वीएमएमसीएवं सफदरजंग अस्पताल के सभी विभागों के प्रमुख शामिल थे।

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