दिव्या शशिधर ने अपने पति पर गंभीर यौन अपराधों और संपत्ति अवैध रूप से ससुराल वाले को हस्तांतरित करने का आरोप लगाया”
दिव्या शशिधर, जो एक अमेरिकी नागरिक हैं, ने हाल ही में अपने पति के खिलाफ गंभीर यौन अपराधों और संपत्ति के अवैध हस्तांतरण का आरोप लगाया है। यह मामला केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं बल्कि कानूनी और समाजिक दृष्टिकोण से भी काफी संवेदनशील बन गया है। दिव्या का आरोप है कि उनके पति ने न केवल उनके साथ यौन हिंसा की, बल्कि उनकी संपत्ति को भी बिना उनकी सहमति के उनके ससुरालवालों को हस्तांतरित कर दिया।
यौन अपराध का आरोप
दिव्या ने अपने पति पर यौन हिंसा का आरोप लगाते हुए कहा कि उनका पति उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था। उनका दावा है कि इस प्रताड़ना की सीमा केवल शारीरिक हिंसा तक ही नहीं रही, बल्कि उनके निजी अधिकारों का भी उल्लंघन किया गया। उनके अनुसार, इस हिंसा ने उनकी मानसिक स्थिति को गंभीर रूप से प्रभावित किया, और इसके परिणामस्वरूप, दिव्या ने अंततः अपने पति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई का निर्णय लिया।
संपत्ति के अवैध हस्तांतरण का आरोप
दिव्या ने अपने पति पर एक और गंभीर आरोप लगाया कि उसने उनके नाम पर पंजीकृत संपत्ति को बिना उनकी सहमति और जानकारी के अपने पिता के नाम ट्रांसफर कर दिया। उनका कहना है कि यह कदम पूरी तरह से अवैध था और उनके अधिकारों का उल्लंघन किया गया। दिव्या ने इस कदम को धोखाधड़ी के रूप में देखा और उन्होंने कानूनी प्रक्रियाओं के माध्यम से अपनी संपत्ति की वापसी की मांग की है।
कानूनी प्रक्रिया और उसकी जटिलताएँ
दिव्या ने आरोपों को अदालत में पेश करने के लिए कानूनी सहायता ली है। इस मामले में कई कानूनी और पारिवारिक विवाद जुड़े हुए हैं, क्योंकि संपत्ति के मुद्दे के साथ-साथ दाम्पत्य जीवन के अधिकारों का भी उल्लंघन हुआ है। दिव्या ने अपनी बातों को प्रमाणित करने के लिए दस्तावेजों और गवाहों का सहारा लिया है।
साथ ही, वह अमेरिका में अपने अधिकारों की रक्षा के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन कर रही हैं, जिसमें कोर्ट की सुनवाई के अलावा कई अन्य कानूनी पहलू भी जुड़ सकते हैं, जैसे कि संपत्ति को वापिस लेने की कार्रवाई और पति पर यौन हिंसा के आरोपों की जाँच।
सोशल मीडिया और सार्वजनिक ध्यान
दिव्या के आरोपों ने न केवल कानूनी समुदाय बल्कि समाज में भी काफी चर्चा पैदा की है। कई लोग उनके साथ खड़े हो गए हैं, जबकि कुछ लोग उनके आरोपों पर सवाल उठा रहे हैं। इस मामले ने यह मुद्दा भी उभारा है कि महिलाओं को उनके अधिकारों की सुरक्षा को लेकर कितना संघर्ष करना पड़ता है, चाहे वह यौन हिंसा हो या संपत्ति के अधिकार।