न्यूज़ डेस्क : सपने देखना अच्छी बात है, लेकिन सपने को लेकर के बैठे रहना और सपनों के लिए सोते रहना ये तो सही नहीं है। सपनों से आगे बढ़कर, अपने सपनों को पाने का संकल्प ये बहुत महत्वपूर्ण है। वो बातें जिनसे आप पूरी तरह से जुड़ गए हैं, मग्न हो गए हैं, वो बातें जो आपका हिस्सा बन गई हैं, आपके विचार प्रवाह का हिस्सा बन गई हैं। उन्हें आप कभी भूलते नहीं हैं। दूसरे शब्दों में कहूं तो ये मेमोराइज नहीं हैं, एक्चुली ये इंटरनलाइज है।
अपने आसपास के जीवन को ऑब्जर्व करना सीखिए
आवश्यक है कि दसवीं क्लास में, बारहवीं क्लास में भी आप अपने आसपास के जीवन को ऑब्जर्व करना सीखिए। आपके आसपास इतने सारे प्रोफेशन हैं, नेचर ऑफ जॉब्स हैं। सपनों में खोए रहना अच्छा लगता है।
परिवर्तन, बहुत सारे अवसर लेकर आते हैं : पीएम मोदी
प्रचार माध्यमों से हजार दो हजार लोग हमारे सामने आते हैं, दुनिया इतनी छोटी नहीं है। इतनी बड़ी विश्व व्यवस्था, इतना लंबा मानव इतिहास, इतनी तेजी से हो रहे परिवर्तन, बहुत सारे अवसर लेकर आते हैं।
बहुत जल्द वाह-वाही के चक्कर में न फंसे : पीएम मोदी
करियर के चुनाव में एक पक्ष ये भी है कि बहुत से लोग जीवन में आसान रूट की तलाश में रहते हैं। बहुत जल्द वाह-वाही मिल जाए, आर्थिक रूप से बड़ा स्टेट्स बन जाए। ये इच्छा ही जीवन में कभी-कभी अंधकार का शुरुआत करने का कारण बन जाती है।
आपका बच्चा ‘पर-प्रकाशित’ यानी दूसरों पर निर्भर नहीं होना चाहिए, आपका बच्चा स्वयं प्रकाशित होना चाहिए। बच्चों के अंदर जो प्रकाश आप देखना चाहते हैं, वो प्रकाश उनके भीतर से प्रकाशमान होना चाहिए। किसी को भी मोटिवेट करने का पहला पार्ट है- ट्रेनिंग। प्रॉपर ट्रेनिंग एक बार बच्चे का मन ट्रेन हो जाएगा तब उसके बाद मोटिवेशन का समय शुरू होगा।
बच्चों को बताने, सिखाने, संस्कार देने की जिम्मेदारी परिवार की : पीएम मोदी
हमने जो अपना भाव-विश्व बनाया है, वो जब व्यवहार की कसौटी पर खरा नहीं उतरता है तब बच्चों के मन में अंतरद्वंद शुरू हो जाता है। बच्चों के पीछे इसलिए भागना पड़ता है क्योंकि उनकी रफ्तार हमसे ज्यादा है। बच्चों को बताने, सिखाने, संस्कार देने की जिम्मेदारी परिवार की ही है, लेकिन कई बार बड़े होने के साथ हमें भी मूल्यांकन करना चाहिए।
अपने लक्ष्यों को पूरा करने का बोझ बच्चों पर न डालें : पीएम मोदी
अक्सर माता-पिता अपने मन में कुछ लक्ष्य तैयार कर लेते हैं, कुछ पैरामीटर बना लेते हैं और कुछ सपने भी पाल लेते हैं। फिर अपने उन सपनों, लक्ष्यों को पूरा करने का बोझ बच्चों पर डाल देते हैं। हम अपने लक्ष्यों के लिए बच्चों को जाने अनजाने में इंस्ट्रूमेंट मान लेते हैं और जब बच्चों को उस दिशा में खींचने में विफल हो जाते हैं तो ये कहने लगते हैं कि बच्चों में मोटिवेशन और इंस्पिरेशन की कमी है।
बच्चे बड़े स्मार्ट होते हैं : प्रधानमंत्री
बच्चे बड़े स्मार्ट होते हैं। जो आप कहेंगे, उसे वो करेंगे या नहीं करेंगे, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना होती है कि जो आप कर रहे हैं, वो उसे बहुत बारीक़ी से देखता है और दोहराने के लिए लालायित हो जाता है।
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