नई दिल्ली । डिजिटल पेमैंट में लगातार हो रही बढ़ोतरी के बावजूद नगदी पेमैंट में कोई विशेष अंतर नहीं दिखाई दे रहा है लेकिन चैक के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है। चैक से पेमैंट लगातार घटती जा रही है। 2010 में कुल बैंकिंग ट्रांजैक्शन में चैक पेमैंट की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत थी लेकिन अब घट कर तीन प्रतिशत रह गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के विश्लेषण के बाद पाया गया कि जून तिमाही 2018 में चैक पेमैंट घट कर तीन प्रतिशत रह गई थी। हर गुजरते साल के साथ चैक पेमैंट की रफ्तार में गिरावट आ रही है। नेशनल पेमैंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के पूर्व चीफ एपी होता का कहना है
कि पूरी दुनिया में चैक पेमैंट का चलन घट रहा है और भारत इसका अपवाद नहीं है। इलैक्ट्रॉनिक पेमैंट्स काफी कारगर और सेफ हैं। इससे चैक पेमैंट का चलन घट रहा है पिछले कुछ सालों के दौरान पेमैंट्स की पूरी दुनिया काफी बदल गई है। बिजनैस और रिटेल पेमैंट दोनों तेजी से ऑनलाइन की ओर शिफ्ट होते जा रहे हैं।
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