सीएसआईआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस कम्युनिकेशन एंड पॉलिसी रिसर्च (एनआईएससीपीआर), नई दिल्ली का रिसर्च जर्नल डिवीजन त्वरित विज्ञान कार्यशाला योजना के अंतर्गत ’विद्वतापूर्ण प्रकाशनों को लेकर व्यावहारिक प्रशिक्षण’ पर 12-18 मई के दौरान विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकार द्वारा प्रायोजित एक सप्ताह की राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन कर रहा है।
‘कार्यशाला’ के छठे दिन श्री हसन जावेद खान, मुख्य वैज्ञानिक और संपादक, विज्ञान रिपोर्टर और सीएसआईआर-न्यूजलेटर, सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर द्वारा विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए सत्र आयोजित किए गए। उनके द्वारा दो व्याख्यान दिए गए: (i) “संचार विज्ञान: एक जिम्मेदारी और चुनौती” और (ii) “प्रभावी विज्ञान लेखन साझाकरण और संचारण”। प्रख्यात वक्ता के व्याख्यान से छात्रों को ज्ञान और समझ की प्राप्ति हुई।
अपने पहले व्याख्यान में श्री खान ने लोगों को विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने लोकप्रिय विज्ञान लेखन की बारीकियों के बारे में भी समझाया। उन्होंने प्रतिभागियों को लोगों के लिए प्रभावी रूप से लिखने के लिए चेकप्वांइट्स के बारे में भी बताया, जिसमें उन्होंने ऐसे लेखन पर बल दिया जो सरल हो और आसानी से समझा जा सके। उन्होंने संशोधित दिशानिर्देशों के आधार पर साइंटिफिक सोशल रिस्पांसबिलिटी (एसएसआर) पर चर्चा की और महत्वपूर्ण बिंदुओं के बारे में विस्तार से बताया जिसे लिखते समय ध्यान में रखना आवश्यक है।
अगले सत्र में, श्री हसन जावेद खान ने “प्रभावी विज्ञान लेखन साझाकरण और संचारण” विषय पर एक व्याख्यान दिया। लोकप्रिय विज्ञान लेख को लिखने के महत्व के संदर्भ में चर्चा करते हुए, श्री खान ने कहा कि लोकप्रिय विज्ञान लेख वैज्ञानिक दुनिया में आपकी मौजूदगी को बढ़ावा देते हैं।
साइंटिफिक सोशल रिस्पांसबिलिटी के संदर्भ में बात करते हुए, उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा हाल ही में विज्ञान और समाज के लिंक को मजबूती प्रदान करने के लिए जारी किए गए दिशानिर्देशों पर प्रकाश डाला।
प्रस्तुति के बाद कार्यशाला के प्रतिभागियों के साथ एक संवादपरक सत्र का आयोजन किया गया। डॉ एनके प्रसन्ना और श्री हसन जावेद खान द्वारा प्रतिभागियों के लिए प्रशिक्षण असाइनमेंट के साथ इस पूरे सत्र का समापन हुआ। वरिष्ठ वैज्ञानिक श्रीमती मजूमदार और डॉ एन के प्रसन्ना ने तीनों सत्रों का संचालन सुचारू रूप से किया।
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