मुंबई। भीमा-कोरेगांव हिंसा की वजह से जहां एक तरफ पूरे महाराष्ट्र में अशांति का माहौल छाया हुआ है, वहीं दूसरी तरफ इसको लेकर राजनीति के मैदान में भी घमासान मचा हुआ है। विपक्ष को सरकार को घेरने का मौका मिल गया है, पीएम नरेंद्र मोदी की चुप्पी भी सवालों के घेरे में आ गई है। अब डॉ. भीमराव अम्बेडकर के पोते और दलित नेता प्रकाश अम्बेडकर ने भी इस पूरे मुद्दे पर उन्हें अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है। उन्होंने दावा किया कि हिंसा के आरोपियों में से एक संभाजी भिड़े पीएम मोदी के लिए ‘गुरु’ समान पूज्यनीय हैं और उन्हें महाराष्ट्र में फैली जातीय हिंसा पर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
खड़गे की मांग का अंबेडकर ने किया समर्थन
बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी पीएम मोदी को इस मुद्दे पर अपना बयान देने की मांग की थी। इसकी सराहना करते हुए प्रकाश अम्बेडकर ने कहा कि पीएम को इस बात का पता होना चाहिए कि जिस व्यक्ति को उन्होंने अपना गुरु घोषित किया था, वह देश में अराजकता पैदा करने में जुटे हुए हैं। खड़गे ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह इस तरह के मुद्दों पर ‘मौनी बाबा’ बन जाते हैं। मगर इस बार वह चुप नहीं रह सकते हैं। उन्हें महाराष्ट्र हिंसा पर बयान देकर अपना रुख साफ करना चाहिए।
अंबेडकर ने कहा- इस सवाल का जवाब दें पीएम
प्रकाश अम्बेडकर ने आगे कहा कि 2019 में आम चुनाव होने वाला है। उन्हें जरूर इस सवाल का जवाब देना होगा कि क्या वह उस गुरु में विश्वास करते हैं जिन्हें अराजकता फैलाने में विश्वास है। इसलिए मैं पीएम से अनुरोध करता हूं कि उन्हें लोकसभा में बयान देकर अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए।
संभाजी भिड़े ‘गुरु’ पर है हिंसा का आरोप
भीमा-कोरेगांव में हुई हिंसा मामले में श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के संस्थापक संभाजी भिडे और हिंदू एकता अघाड़ी मिलिंद एकबोटे पर पुणे के पिंपरी पुलिस स्टेशन में केस दायर किया गया है। 85 वर्षीय भिड़े आरएसएस के प्रचारक हैं। पुणे के फर्गुसन कॉलेज में प्रोफेसर रह चुके हैं। उन्होंने न्यूक्लियर फिजिक्स में एमएससी की है। 1980 के दौर में उन्होंने श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान नाम की संस्था बनाई।
भिड़े सतारा, सांगली और कोल्हापुर इलाकों में ‘भिड़े गुरुजी’ नाम से बहुत मशहूर हैं और साइकिल से चलना पसंद करते हैं। उनकी संस्था का मुख्य काम शिवाजी महाराज के बारे में लोगों को बताना है और उनके भाषण अल्पसंख्यकों के खिलाफ होते हैं।
56 वर्षीय मिलिंद एकबोटे का पूरा परिवार आरएसएस के जुड़ा हुआ है। वह 1997 से लेकर 2002 तक भाजपा का पार्षद रहे। टिकट न मिलने से निर्दलीय लड़ने के बाद जीते और 2007 में चुनाव हारने के बाद से ही वे हिंदू एकता मंच नाम का संगठन चला रहे हैं। एकबोटे की भाभी फिलहाल पुणे महानगर पालिका में भाजपा पार्षद हैं। एकबोटे ने 2014 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शिवसेना के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। एकबोटे पर दंगा, अतिक्रमण, आपराधिक धमकी और दो समुदायों के बीच शत्रुता फैलाने के प्रयासों के कुल 12 मामले दर्ज हैं। उसमें से पांच मामलों में दोषी भी साबित हो चुके हैं।
इस कारण भीमा-कोरेगांव में भड़की हिंसा
बता दें कि एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में शौर्य दिवस मनाया जा रहा था। तभी दलितों और मराठा संगठन के लोगों के बीच हिंसा भड़क गई और एक व्यक्ति की मौत के बाद इस हिंसा की आग तेजी से पूरे महाराष्ट्र में फैल गई। हालांकि बुधवार को महाराष्ट्र बंद का एलान वापस ले लिया गया है। प्रकाश अम्बेडकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। साथ ही आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
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