CSE का दावा, एंटीबॉयोटिक्स इस्तेमाल करती हैं फास्ट फूड बहुराष्ट्रीय कंपनियां

नई दिल्ली । भारत में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने फास्ट फूड उत्पादों में जबरदस्त एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल कर रही हैं। इससे बच्चों की सेहत दांव पर लग गई है। एंटीबायोटिक बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे खत्म कर देती है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया है।

रिपोर्ट कहती है कि यही बहुराष्ट्रीय कंपनियां अमेरिका और अन्य देशों में सख्त नियमों का पालन करती हैं। जबकि भारत में यह खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन कर रही हैं। सोमवार को विश्व एंटीबॉयोटिक जागरूकता सप्ताह की शुरुआत पर यह रिपोर्ट जारी की गई है।

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट के उप निदेशक चंद्रभूषण ने कहा कि यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां अमेरिका और अन्य यूरोपियन देशों में सख्ती के साथ नियमों का पालन व अनुसरण करती हैं जबकि भारत में यही कंपनियां एंटीबॉयोटिक को लेकर किसी तरह का मानक नहीं अपनाती। इसकी वजह से यहां जो इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के फास्ट फूड उत्पाद खा रहे हैं उनमें एंटी माइक्रोबियल रजस्टिेंस (एएमआर)बढ़ रहा है।

चंद्रभूषण ने बताया कि भारत में मैकडोनाल्ड के 300 से अधिक आउटलेट हैं। यह बच्चों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। सीएसई ने इनसे संपर्क कर पूछा था कि आप कई देशों में चिकन या अन्य मीट सप्लाई उत्पादों में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर रोक लगा चुके हैं या फिर 2019 तक आपने वादा किया है लेकिन भारत में इस बाबत आपके पास कोई रोडमैप नहीं है।

इस पर आप क्या कर रहे हैं? कंपनी की ओर से इस प्रश्न पर कोई जवाब नहीं दिया गया। इसी तरह सीएसई ने 11 विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और कई भारतीय कंपनियों से जवाब मांगा था जो भारत में मीट फास्ट फूड का कारोबार कर रही हैं।

इनमें से 7 मल्टीनेशनल और एक भारतीय ब्रांड ने जवाब नहीं दिया। सीएसई ने सरकार को एंटीबायोटिक के बेजा इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की सिफारिश की है।

इसके अलावा फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआइ) से कहा है कि वह इसकी रोकथाम में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

News Source: jagran.com

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