कोविड-19: मिथक बनाम तथ्य


टीके की दोनों खुराकें प्राप्त किए बिना लाभार्थियों के दो बार टीका लेने वाले के रूप में पंजीकृत होने का दावा करने वाली मीडिया की खबरें गलत, आधारहीन और भ्रामक हैं

विश्व के सबसे बड़े कोविड टीकाकरण अभियान को एक मजबूत डिजिटल पोर्टल-कोविन पर दर्ज किया गया है

धोखा देने वाली गतिविधियों को रोकने के लिए कोविन में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और विशेषताएं शामिल की गई हैं

कोविन पर टीकाकरण लाभार्थियों को अपने विवरण में जरूरी सुधार करने का अधिकार दिया गया है

अंतरराष्ट्रीय मीडिया की कुछ खबरों में “टीकाकरण धोखाधड़ी” के आरोप लगाए गए हैं और इनमें आगे दावा किया गया है कि दोनों खुराकें प्राप्त किए बिना ही लोगों को धोखे से दो बार टीका लगाने वालों के रूप में पंजीकृत किया गया है। इसके अलावा इन खबरों में यह भी आरोप लगाया गया है कि टीकाकरण के “आंकड़ों में गड़बड़ी की जा रही है।”

यह स्पष्ट किया जाता है कि इस तरह की मीडिया रिपोर्ट न केवल भ्रामक, बल्कि पूरी तरह से गलत और बेबुनियाद हैं।

जिन खबरों में इस तरह के आरोप लगाए गए हैं, उनकी हेडलाइन ही भ्रामक है। इसे लिखने वाले लेखकों को शायद इस बात की जानकारी नहीं है कि स्वास्थ्यकर्मी हीकोविन प्रणाली में टीकाकरण से संबंधित विवरणदर्ज करते हैं। इन लेखकों का दावा है कि डेटा को दर्ज करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों ने ही इन अनियमितताओं के आरोप लगाए हैं। यह इस बात को दिखाता है कि लेखकों को कोविन पर टीकाकरण केविवरण को दर्ज करने की प्रक्रियाओं की कोई समझ नहीं है।

वैश्विक स्तर पर भारत का राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण अभियान इस तरह का सबसे बड़ा अभियान है। यह कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म की एक मजबूत तकनीकी बैकअप के साथ समर्थित है।बीते एक साल से अधिक की अवधि में इसने कोविडटीकाकरण अभियान में असाधारण प्रदर्शन किया है। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कोविडटीकाकरण के सभी विवरण दर्ज किए गए हैं।

कोविन प्रणाली एक समावेशी प्लेटफॉर्म/प्रणाली है। पूरे देश में मोबाइल और इंटरनेट की उपलब्धता की सीमाओं और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए इसे डिजाइन किया गया है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि भौतिक, डिजिटल या सामाजिक- आर्थिक बाधाओं के बिना हर एक योग्य व्यक्ति के पास टीकाकरण तक पहुंच हो, कोविनमें जरूरी सुविधाओं और लचीलेपन को शामिल किया गया है।

इसके साथ हीटीकाकरण के समय धोखाधड़ी और/या गलत विवरण की प्रविष्टि को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और विशेषताओं को शामिल किया गया है, जो निम्नलिखित है:

1.हर एक टीकाकरण टीममें एक सत्यापनकर्ता होता है। इसका एकमात्र काम टीकाकरण के लिए आने वाले लाभार्थियों की पहचान स्थापित करना है।

2. किसी लाभार्थी को कोविनमें टीकाकृत के रूप में दर्ज करने से पहले टीकाकरण प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:

i.समय सारणी (शिड्यूल) -यह ऑनलाइन या टीकाकरण केंद्र पर उपलब्ध हो सकता है

ii.सत्यापन- केवल अनुसूचित लाभार्थी (ऑनलाइन या टीकाकरण केंद्र पर) सत्यापन के लिए अगले चरण में जाते हैं, जहां सत्यापनकर्ता कोविनमें दर्ज विवरण के अनुसार लाभार्थी की पहचान स्थापित करता है।

iii.टीकाकरण- किसी लाभार्थी को टीकाकृत के रूप में उस समय ही दर्ज किया जाता है, जब सत्यापनकर्ता/टीका लगाने वाला एक सफल सत्यापन करता है।

3.टीकाकरण केंद्र पर पंजीकरण और पहली खुराक टीकाकरण के लिए

i.पहली खुराक या टीकाकरण केंद्र पर पंजीकरण के लिए आने वाले किसी भी लाभार्थी के सत्यापन के समय सत्यापनकर्ता/टीका लगाने वाले को लाभार्थी के मोबाइल नंबर पर भेजे गए ओटीपी को दर्ज करना होगा।

ii.अगर लाभार्थी आधार कार्ड उपलब्ध कराता है तो इसके लिए एक आधार आधारित प्रमाणीकरण का विकल्प प्रदान किया गया है।

iii.अगर अन्य फोटो पहचान पत्र (आईडी) दिया जाता है तो सत्यापनकर्ता/टीका देने वाले के पास प्रमाण के लिए फोटो आईडी की तस्वीर लेने का विकल्प होता है।

4.टीकाकरण स्थल पर दूसरी खुराक के लिए –

    1. सत्यापनकर्ता/टीका लगाने वाला लाभार्थी के दिए गए विवरण के अनुरूप नाम, लाभार्थी आईडी (केवल कोविनसे उत्पन्न),पंजीकृत मोबाइल नंबर का उपयोग करके लाभार्थी को कोविनडेटाबेस से खोज सकता है।
    2. सफल सत्यापन किए जाने के बादलाभार्थी को अपना जन्म का वर्ष और ओटीपी प्रदान करना होगा, जो केवल लाभार्थी डैशबोर्ड और लाभार्थी को भेजे गए एसएमएस के जरिए उपलब्ध होगा।

5. हर चरण में लाभार्थी को एसएमएस सूचनाएं भेजी जाती हैं:

i. ऑनलाइन/टीकाकरण केंद्र पर पंजीकरण के समय

ii.दूसरी खुराक/प्रीकॉशन खुराक टीकाकरण की नियत तारीख की सूचना

iii.टीकाकरण की पुष्टि

iv.कारण सहित टीकाकरण की अस्वीकृति

 

ये विशेषताएं सत्यापनकर्ता/टीका लगाने वालों को लाभार्थी के टीकाकृत के रूप में दर्ज करने से पहले सत्यापन के समय लाभार्थी की पहचान स्थापित करने में सशक्त बनाती हैं।उपरोक्त सक्षमताओं के बावजूद ऐसे मामले हो सकते हैं, जहां टीकाकरण टीम मानक संचालन प्रक्रिया(एसओपी) की अनदेखी कर सकती है, जिसके चलते डेटा प्रविष्टि और इनकी रिकॉर्डिंग में त्रुटि सामने आ सकती है। इसकी वजह से ऐसे मामले सामने आते हैं, जहां एक लाभार्थी को टीका लगाए बिना टीकाकृत के रूप में दर्ज कर लिया जाता है।कोविन के जरिए लाभार्थियों के साथ एसएमएस संचार की प्रणाली से ऐसे मामलों को तुरंत शिकायत निवारण तंत्र के माध्यम से रिपोर्ट किया जाता है।ऐसी शिकायतें मिलने पर टीकाकरण टीम और कोविड टीकाकरण केंद्र(सीवीसी) जहां ऐसे मामले सामने आते हैं, के विवरण को संबंधित राज्य के अधिकारियों के पासजरूरी सुधारात्मक कार्रवाई के लिए भेजा जाता है।

इसके अलावा लाभार्थियों को कोविन पर अपने रिकॉर्ड में जरूरी सुधार करने का अधिकार भी दिया गया है। लाभार्थी डैशबोर्ड पर “रेज एन इश्यू” की सुविधा लाभार्थियों को नाम, उम्र, लिंग और फोटो आईडी जैसे बुनियादी जनसांख्यिकीय विवरण में बदलाव के अलावा निम्नलिखित सुधार करने की अनुमति देता है:

1. दोनों खुराक के प्रमाणपत्र को एक साथ करना

2.“माइकोविनअकाउंट” में पंजीकृत अज्ञात सदस्य की रिपोर्ट करना

3.टीकाकरण रद्द करना – पूरी तरह टीकाकृत से आंशिक रूप में टीकाकृत और आंशिक रूप टीकाकृत से गैर-टीकाकृत होने के लिए।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उक्त मीडिया रिपोर्ट में भारत सरकार का एक संक्षिप्त वक्तव्य भी शामिल है, जो इस प्रकार है:

“एक बयान मेंसरकार ने यह बताते हुए कि हर एक टीकाकरण टीम में एक ‘सत्यापनकर्ता’ होता है, जिसका एकमात्र काम टीका लेने वालों की पहचान की पुष्टि करना होता है, किसी भी टीका धोखाधड़ी से इनकार किया है। यह कोविन प्रणाली एक समावेशी प्लेटफॉर्म है और इसे पूरे देश में मोबाइल व इंटरनेट की उपलब्धता की सीमाओं और चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए डिजाइन किया गया है।”सरकार ने आगे कहा है, “यह सुनिश्चित करने के लिए कि भौतिक, डिजिटल या सामाजिक- आर्थिक बाधाओं के बिना हर एक योग्य व्यक्ति के पास टीकाकरण तक पहुंच हो, कोविन में जरूरी विशेषताओं और लचीलेपन को शामिल किया गया है। इसके साथ ही टीकाकरण के समय धोखाधड़ी और/या गलत विवरण प्रविष्टि को रोकने के लिए एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) और विशेषताओं को शामिल किया गया है।”

इस बात की सराहना की जानी चाहिए कि इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद भारत ने अपने राष्ट्रव्यापी कोविड टीकाकरण कार्यक्रम को सफलतापूर्वक लागू किया है। इसके तहत अब तक 167 करोड़ से अधिक खुराकें दी गई हैं। इसमें 18 साल से अधिक उम्र वाले लोगों के समूह में 76 फीसदी से अधिक को दोनों खुराकें दी गई हैं।

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