2जी पर कोर्ट के फैसले से सकते में सीबीआइ और ईडी

नई दिल्ली। 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर जज ओपी सैनी के फैसले ने सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय में हड़कंप मचा दिया है। उन्हें अधिकांश हाईप्रोफाइल केस में अदालत से आरोपियों के छूट जाने का डर सता रहा है। ओपी सैनी ने जिस पैमाने पर कलैगनर टीवी में डीबी रियलिटी से गए 200 करोड़ रुपये को 2जी स्पेक्ट्रम के एवज में दलाली मानने से इनकार कर दिया, उस पैमाने पर जांच एजेंसियों के लिए रिश्वत की लेन-देन साबित करना मुश्किल हो जाएगा।

ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कलैगनर टीवी को दिये गए 200 करोड़ रुपये 2जी स्पेक्ट्रम के बदले दलाली की रकम थी, इसके पुख्ता सबूत हैं। लेकिन ओपी सैनी ने इन सबूतों को मानने से इनकार कर दिया। जज सैनी ने कहा था- यह साबित नहीं होता है कि कलैगनार टीवी में बलवा की ओर दिया गया लोन किसी तरह का रिश्वत था। सीबाआइ के अधिकारी इससे अचरज में हैं। उनका मानना है कि कोई भी बिना किसी गारंटी किसी को 200 करोड रुपये आखिर और किस मकसद से देगा? वह भी 14 फीसद के ब्याज पर लोन लेकर कलैगनार को पांच पर लोन दिया गया। सीबीआइ अधिकारी का मानना है कि रिश्वत की बात इसी से साबित हो जाती है कि उसी समय शाहिद बलवा की कंपनी स्वान को 2जी स्पेक्ट्रम मिला था। उनके अनुसार कलैगनार टीवी और ए. राजा के बीच संबंध जगजाहिर है, इसे साबित करने की जरूरत नहीं है।

इसी आधार पर जज ओपी सैनी ने एयरसेल-मैक्सिस डील केस में भी सभी आरोपियों को बरी कर दिया था। जबकि उस केस में भी जांच एजेंसियों ने डील के दौरान तत्कालीन संचार मंत्री दयानिधि मारन के परिवार की कंपनी सन टीवी में मैक्सिस की कंपनियों द्वारा बड़े पैमाने पर निवेश का सबूत पेश किया था। जांच एजेंसियों के पास इस बात के सबूत थे कि सन टीवी के शेयर को तत्कालीन बाजार मूल्य से कई गुना अधिक कीमत पर खरीदा गया था और नए आर्थिक दौर में रिश्वत देने का यह तरीका है। इससे सन टीवी को सीधे तौर पर लगभग 500 करोड़ रुपये अधिक मिल थे। लेकिन ओपी सैनी ने इसे भी कंपनियों के बीच आपसी बिजनेस बताकर इसे एयरसेल-मैक्सिस डील से जुड़ा होने से मानने से इनकार कर दिया था। वैसे ईडी और सीबीआइ इस फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर चुके हैं।

वहीं कई हाईप्रोफाइल मामलों की जांच से जुड़े सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि उन्हें अब तक जुटाए गए सबूतों के बारे में नए सिरे से सोचना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि ‘हाईप्रोफाइल मामले जिनमें कई सौ करोड़ रुपये की रिश्वत दी जाती है, नकदी में नहीं जा सकती है।’ यही नहीं, सीबीआइ के पास जांच के लिए पुराने केस आते हैं, मामले के चार-पांच साल बाद नकदी लेन-देन के सबूत जुटाना असंभव है। नकदी के बजाय अब रिश्वत की लेन-देन कई देशों में फैली कंपनियों के बीच लेन-देन के रूप में ही होता है।

सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2जी फैसले को आधार बनाया जाए, तो वीवीआइपी हेलीकाप्टर घोटाले का केस बनता है और न ही पूर्व रेलमंत्री लालू यादव के खिलाफ होटल के बदले जमीन लेने का केस बनता है। वीवीआइपी हेलीकाप्टर खरीद घोटाले में पूर्व वायुसेनाध्यक्ष एसपी त्यागी के खाते में रिश्वत की रकम आने का कोई सबूत नहीं मिला है। एजेंसियों के पास इस बात के सबूत हैं कि किस तरह के इटली और ब्रिटेन में बैठे दलालों ने दलाली की रकम को आठ देशों में फैली कंपनियों में घुमाते हुए भारत में मौजूद कंपनियों तक पहुंचाया। यहां से यह रकम एसपी त्यागी के भाइयों से जुड़ी कंपनियों में पहुंची। उन्होंने कहा कि ‘दुनिया की कोई भी जांच एजेंसी एसपी त्यागी द्वारा ली गई रिश्वत की ओपी सैनी के मापदंड पर साबित नहीं कर सकती है।’

जबकि ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने लालू यादव के खिलाफ रेलमंत्री रहते हुए आइआरसीटीसी के दो होटल के बदले जमीन देने के मामले का उदाहरण देते हुए कहा कि इस बात के दस्तावेजी सबूत मौजूद है कि पटना के चाणक्य होटल के मालिकों को रांची और पुरी के होटल लीज पर देने में नियमों को जानबूझकर बदला गया था। जब लीज दी जा रही थी, उसी दौरान लालू यादव के करीबी और राजद के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी की कंपनी को सस्ते में पटना की जमीन बेच दी गई। कई सालों बाद यह जमीन लालू यादव के परिवार के पास आ गई। लालू यादव के परिवार को इससे करोड़ों रुपये का फायदा हुआ। सीबीआइ इस मामले में एफआइआर दर्ज कर चुकी है और ईडी उस जमीन को जब्त कर चुका है। लेकिन अधिकारियों को डर सता रहा है कि कहीं 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की तरह उनके जुटाए सबूतों को अदालत मानने से ही इनकार न कर दे।

Comments are closed.