कोरोना : सप्लाई मे ब्रेक से तीन गुना तक बढ़ गए खाद्य पदार्थो के दाम

न्यूज़ डेस्क : कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू लॉकडाउन के बीच देश में अनाज को छोड़कर सभी खाद्य पदार्थों के दाम पिछले माह के मुकाबले तीन गुना तक बढ़ गए हैं। खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय और कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) के मुताबिक, तीन मुख्य वजहों से ये कीमतें बढ़ी हैं। पहला कि मार्च के पहले हफ्ते के मुकाबले अप्रैल में थोक मंडियों में कृषि उत्पादों की आवक में 60 फीसदी की बड़ी कमी आई है।

 

दूसरा, परिवहन लागत में तेज उछाल आया, क्योंकि लॉकडाउन से आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति वाले ट्रकों को छूट के बावजूद राज्यों के बीच ट्रकों की आवाजाही बाधित हुई। लोगों की आवाजाही पर पाबंदी जैसे कठोर कदमों के कारण ढोने-उतारने या छांटने वाले मजदूरों की कमी हो गई और ट्रक चालकों की संख्या भी तेजी से घटी है। मंडियों तक न पहुंच पाने से किसान कृषि उत्पाद औने-पौने दाम में बेच रहे हैं। राजस्थान से ऑल इंडिया किसान सभा के नेता अमरा राम के मुताबिक, मिर्च, मटर और अन्य उत्पाद सड़क पर फेंक रहे हैं।

 

आपूर्ति में संकट का नतीजा जल्द ही मांग में कमी के रूप में बदल सकता है, क्योंकि आम आदमी की आमदनी तेजी से घटी है। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री हिमांशु के मुताबिक, घरों में खाद्य पदार्थों की कम खपत कुपोषण और बीमारियों के रूप में सामने आ सकता है। हालांकि राहत यह है कि गेहूं और चावल की कीमतें स्थिर हैं। तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री आर मणि ने कहा कि पाबंदियों से किसान बाजार तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। केंद्र और राज्य के अधिकारी सही समय और उचित दाम पर आपूर्ति में असफल रहे हैं। 

 

50 लाख ट्रक रास्ते में ही खड़े

लॉकडाउन से 40 से 50 लाख ट्रक रास्ते में खड़े हैं और करीब 35 हजार करोड़ रुपये का सामान अटका है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस के अध्यक्ष कुलतारन सिंह अटवाल ने कहा कि देश में 70 से 80 लाख ट्रकों में महज दस फीसदी ही चल रहे हैं। खाली ट्रकों को लौटने की इजाजत भी नहीं है। 70 से 80 फीसदी ट्रक चालक भी काम पर नहीं आ रहे हैं और न ही ढुलाई के लिए श्रमिक मिल रहे हैं।

 

 

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