न्यूज़ डेस्क : देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों पर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि दिशा-निर्देशों और एसओपी के क्रियान्वयन में कमी के कारण यह ‘जंगल की आग’ की तरह फैलने लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना को लेकर राज्य सरकारों को भी सलाह दी। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों को केंद्र सरकार के साथ मिलकर सतर्कता और सद्भाव के साथ काम करना चाहिए। नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि राज्यों को कर्फ्यू और लॉकडाउन को लकेर लोगों को निर्धारित समय से कुछ दिन पहले ही बता देना चाहिए, ताकि लोग अपनी आजीविका की व्यवस्था कर सकें। कोर्ट ने कहा कि इस खतरनाक बीमारी से दुनिया में हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से प्रभावित हुआ है इसलिए आपसी सहयोग के जरिए इससे निपटने की जरूरत है।
अस्पताल को चार हफ्ते के भीतर एनओसी लेने के निर्देश
अदालत ने कहा कि कोरोना का इलाज कर रहे जिन अस्पतालों ने फायर एनओसी नहीं ली है, वे तत्काल चार हफ्ते के भीतर एनओसी लें। कोर्ट ने निर्देश दिया कि अगर चार हफ्तों में अस्पताल फायर एनओसी नहीं लेते हैं तो राज्य सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करे।
राज्यों को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश
कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक राज्य को एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करना होगा, जो रिपोर्ट राज्य को सौंपेगा। न्यायालय ने सभी राज्यों को कोरोना के लिए काम करने वाले अस्पतालों में आग संबंधी सुरक्षा जांच (फायर सेफ्टी ऑडिट) करने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि राज्यों को सभी एसओपी और दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा।
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