न्यूज़ डेस्क : विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ताजमहल 188 दिनों बाद भले ही पिछले सप्ताह खुल गया हो लेकिन कोविड-19 की वजह से देश के पर्यटन उद्योग को इस साल 1.25 लाख करोड़ रुपये की चपत लगने का अनुमान है। दरअसल, इस महामारी से दुनियाभर में जनवरी और फरवरी में ही 50 फीसदी पर्यटन कम हो गया, जबकि मार्च में 70 फीसदी गिरावट रही।
22 मार्च से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध के बाद विदेशी पर्यटकों की संख्या लगभग शून्य हो गई। टूर ऑपरेटर एसोसिएशन के मुताबिक केरल, राजस्थान और गोवा जैसे मशहूर पर्यटन राज्यों में गर्मी की छुट्टियों में विदेशी ही नहीं घरेलू पर्यटक भी नहीं पहुंचे। पहले से कराई गई बुकिंग भी निरस्त करा दी गई। अगर स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो नवंबर से शुरू हो रहे सर्दियों के पर्यटन सीजन का भी यही हाल रहने वाला है। पर्यटन उद्योग में जान फूंकने के लिए पिछले साल सरकार ने 100 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाजत दी, लेकिन अभी तक महज 15,057 करोड़ का निवेश मिला।
13 फीसदी रोजगार देता है उद्योग
केंद्रीय पर्यटन मंत्री प्रहलाद पटेल ने मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में बताया कि देश की जीडीपी में पर्यटन की हिस्सेदारी 5 फीसदी और रोजगार में 12.95 फीसदी है। चूंकि, महामारी और संक्रमण का जोखिम अभी बना हुआ है और यातायात भी पूरी तरह बहाल नहीं हो सका है। ऐसे में उद्योग के नुकसान का दायरा और बढ़ सकता है। पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उत्तराखंड और हिमाचल सरकारों ने क्वारंटाइन की अनिवार्य शर्त अब खत्म कर दी है। उत्तराखंड सरकार प्रतिदिन होटल के किराये का 25 फीसदी या 1,000 रुपये (जो कम हो) का प्रोत्साहन राशि भी दे रही है।
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