कोरोना : देश के इन 70 करोड़ अन्य मरीजों को ज्यादा सतर्कता बरतने की दी जा सलाह

न्यूज़ डेस्क  : लॉकडाउन के 12 दिन पूरे हो चुके हैं। 15 अप्रैल से देश के कई हिस्सों में इसे हटाए जाने की चर्चाएं भी चल रही हैं, लेकिन इसके बाद भी करीब आधी आबादी को सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना है। देश में 69 करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं जो गैर संक्रमित रोग (एनसीडी) की चपेट में हैं। वहीं इनमें 60 या उससे अधिक वर्ष की आयु के वरिष्ठ नागरिक भी शामिल हैं।

 

दुनियाभर में कोरोना वायरस का सबसे घातक असर बुजुर्गों और बच्चों के अलावा डायबिटीज, हार्ट, हाइपरटेंशन, किडनी के मरीजों पर पड़ रहा है। इतना ही नहीं देश में अब तक कोरोना संक्रमित मरीजों में 16.69 फीसदी 60 वर्ष से अधिक आयु के हैं। इसीलिए देश में 10 करोड़ बुजुर्ग, 7.7 करोड़ डायबिटिक, 11.35 करोड़ किडनी और 40 करोड़ हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को सबसे ज्यादा सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है। इसके अलावा नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 के अनुसार देश की कुल आबादी में 8.5 फीसदी 0 से 4 वर्ष और 8.9 फीसदी 5 से 9 वर्ष तक की आयु के बच्चे हैं। संक्रमण का खतरा पूरी तरह से टलने तक इनका भी विशेष रूप से ध्यान रखा जाए।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार हालात काफी हद तक नियंत्रण में हैं। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में इसका असर दिखाई देगा। बावजूद इसके बुजुर्ग, बच्चों के अलावा गैर संक्रमित रोगी अपना ध्यान रखें। घर पर ही रहें और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करें। अफवाह या सोशल मीडिया पर कतई भरोसा न करें।

 

कोरोना टाइम लाइन

  • संक्रमण के बाद लक्षण दिखाई देते हैं: 5-6 दिन में
  • सामान्य व्यक्ति के लिए आइसोलेशन: 14 दिन
  • संक्रमण पहले से बीमार मरीज में गंभीर होता है: 1 सप्ताह बाद
  • पहले से बीमार और संक्रमित मरीज का उपचार चल सकता है: 2 से 8 सप्ताह तक

 

एक नजर इधर भी…

  • कोरोना वायरस तीव्र श्वसन संक्रमण से जुड़ा है, भारत में हर साल लाखों लोगों की मौत हो रही है।
  • देश में 27.21 फीसदी मौतें तीव्र श्वसन संक्रमण के कारण हो रही हैं।
  • मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी के गंभीर रोगियों में तीव्र श्वसन संक्रमण जानलेवा होता है।
  • 0 से 8 और 60 साल से ऊपर आयुवर्ग में तीव्र श्वसन संक्रमण का सबसे ज्यादा जोखिम।

 

65 साल के ऊपर के मरीजों के घातक

72,314 मरीजों पर अध्ययन के बाद चीन के वैज्ञानिकों का कहना है कि 80 वर्ष या उसके आसपास की आयु के मरीजों के लिए कोरोना वायरस जानलेवा है। 

  • 9% मौतों में इसी आयुवर्ग के कोरोना मरीज थे। 
  • 2% कार्डियोवस्कुलर,
  • 2 मधुमेह,  
  • 4 फीसदी उच्च रक्तचाप,
  • 8 फीसदी क्रोनिक रेस्पिटरी डिजीज और
  • 6 फीसदी कैंसर मरीज हाई रिस्क पर हैं।

 

डॉक्टर बोले…साफ सफाई का ध्यान रखें,परहेज करें

डॉ. एसके अग्रवाल नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष, एम्स दिल्ली

नागरिकों का सहयोग मिल रहा है। यही वजह है कि भारत कम समय में ही कोरोना को आइसोलेट कर पाया। किडनी मरीजों को सतर्कता की जरूरत है। घर पर ही रहें। सफाई का पूरा ध्यान रखें। परहेज जरूर करें। गाइडलाइन का अच्छे से पालन करें। 


डॉ. हिमांशु वर्मा, नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष, सफदरजंग अस्पताल

क्रोनिक किडनी रोग के मरीजों में कोरोना घातक साबित हो रहा है। ये मरीज पहले से डायलिसिस पर होते हैं। इसीलिए इन्हें सावधानी बरतने को गाइडलाइन जारी की है। जो किडनी के मरीज हैं उन्हें जुकाम, बुखार, गले में दर्द, सांस में कठिनाई, बदन दर्द पर ध्यान देना है। 

 


डॉ. राकेश यादव, वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट, एम्स दिल्ली

मधुमेह, हाइपरटेंशन और हार्ट के रोगियों को सबसे ज्यादा बचाव की आवश्यकता है। जिन मरीजों की हार्ट सर्जरी हो चुकी है, पेसमेकर लगा हो या स्टेंट इत्यादि की प्रक्रिया से गुजरें हो, उन्हें अपने घरों में ही रहकर सरकार की हर सलाह का पालन करना है। साथ ही वीडियो कॉल के जरिए डॉक्टर से परामर्श जरूर लेते रहें।

 

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