न्यूज़ डेस्क : गुरुवार को केंद्र सरकार को वित्तीय मोर्चे पर दोहरा झटका लगा है। एक तरफ जहां कोर सेक्टर की उत्पादन दर में 5.2 फीसदी की गिरावट देखने को मिली, वहीं राजकोषीय घाटा पहले छह माह में बढ़कर के 92 फीसदी के पार चला गया।
कोर सेक्टर में दिखी बड़ी गिरावट : अगस्त माह में जहां कोर सेक्टर में 0.5 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। वहीं सितंबर में यह घटकर के 5.2 फीसदी हो गया। कोयला उत्पादन में 20.5 फीसदी की गिरावट के चलते यह देखने को मिला है। पिछले साल कोर सेक्टर में उत्पादन 4.3 फीसदी था। अगर सभी आठ कोर सेक्टर की बात करें तो फिर यह दूसरी तिमाही में करीब 1.3 फीसदी रहा है।
यह होते हैं कोर सेक्टर की इंडस्ट्री
कोर सेक्टर में मुख्यतः आठ इंडस्ट्री शामिल होती हैं। यह हैं कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, स्टील, सीमेंट, बिजली, फर्टिलाइजर और रिफाइनरी उत्पाद। आईआईपी की गणना में इनका योगदान करीब 40.27 फीसदी रहता है। वैश्विक मोर्चे पर बिगड़ती स्थितियों के बीच निजी निवेश और उपभोक्ता मांग में सुस्ती से भारत की आर्थिक वृद्धि दर जून तिमाही में कम होकर पांच प्रतिशत पर आ गई है। यह पिछले छह साल की सबसे कम वृद्धि दर है।अगस्त में, बिक्री में 15 महीनों में सबसे धीमी गति से विस्तार हुआ है। जिसका उत्पादन वृद्धि और रोजगार सृजन पर भी दबाव पड़ा है। इसके अलावा, कारखानों ने मई 2018 के बाद पहली बार खरीदारी में कमी की है।
इतनी गिरावट हुई दर्ज
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अगस्त 2019 में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, सीमेंट, रिफाइनरी उत्पाद, स्टील, फर्टिलाइजर और बिजली क्षेत्र में क्रमश: 20.5 फीसदी, 5.4 फीसदी, 4.9 फीसदी, 2.1 फीसदी, 6.7 फीसदी, 0.3 फीसदी, 5.4 फीसदी और 3.7 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है।
पहले छह माह में बढ़ा राजकोषीय घाटा
वहीं दूसरी तरफ में राजकोषीय घाटा बढ़कर के 92.4 फीसदी हो गया। वहीं इस साल के लिए सरकार ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.3 फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी। इन छह माह में सरकार ने कुल 14.89 लाख करोड़ रुपये खर्च किए, वहीं सरकार को कुल 8.37 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई थी।
पहले छह माह में सरकार को टैक्स से कुल 6.07 लाख करोड़ रुपये की कमाई हुई, वहीं टैक्स के अलावा सरकार को अन्य मदों से कुल 2.09 लाख करोड़ रुपये की आय हुई थी।
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