सर्फ एक्सेल के होली के विज्ञापन पर विवाद , कंपनी के पीछे पडे लोग

होली की इन्हीं तैयारियों के बीच अचानक से कपड़े धोने वाला पाउडर और साबुन बनाने की कंपनी सर्फ़ एक्सेल सुर्खियों में आ गई l वैसे तो होली खेलने के बाद लोगों को ‘सर्फ़ एक्सेल’ के याद आती थी लेकिन इस बार मामला कुछ अलग ही हो गया. सोशल मीडिया पर एक हैशटेग #BoycottSurfExcel लगातार ट्रेंडिंग टॉपिक बना हुआ है l इसकी वजह है सर्फ़ एक्सेल का होली से जुड़ा एक विज्ञापन l 

 

बाबा रामदेव ने लिखा है, ”हम किसी भी मजहब के विरोध में नहीं हैं, लेकिन जो चल रहा है उस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है, लगता है जिस विदेशी सर्फ से हम कपड़ों की धुलाई करते हैं अब उसकी धुलाई के दिन आ गए हैं?

 

सबसे पहले आपको उस विज्ञापन के बारे में बताते हैं. महज़ एक मिनट के इस विज्ञापन में एक छोटी सी बच्ची अपनी साइकिल पर जा रही है और उस पर कुछ बच्चे रंग भरे गुब्बारे मार रहे हैंl बच्ची खुशी-खुशी सभी गुब्बारे अपने ऊपर गिरने देती है और जब सभी गुब्बारे ख़त्म हो जाते हैं तब उसकी साइकिल एक घर के बाहर रुकती है और वह बच्ची एक छोटे बच्चे से कहती है कि बाहर आ जा, सब खत्म हो गया l

 

यह बच्चा सफ़ेद कुर्ता-पयजामा पहने हुए है. बच्ची उसे अपनी साइकिल पर बैठाकर एक मस्जिद के बाहर छोड़ आती है. मस्जिद में जाते वक़्त बच्चा कहता है कि वह नमाज़ पढ़कर आएगा lइस पर बच्ची जवाब देती है कि बाद में रंग पड़ेगा तो बच्चा भी खुशी में सिर हिला देता है. इसके साथ ही विज्ञापन खत्म हो जाता है l

विज्ञापन पर विवाद

कई दक्षिणपंथी विचारधारा वाले समूहों और लोगों ने इस विज्ञापन का विरोध किया है. उनका मानना है कि विज्ञापन के ज़रिए होली के त्योहार को ग़लत तरीके से प्रदर्शित किया गया है.

कई लोग सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि इस विज्ञापन के ज़रिए हिंदू-मुस्लिम की दूरियों को दिखाया गया है. साथ ही यह बताने की कोशिश की गई है कि होली की वजह से दूसरे धर्म के लोग परेशान होते हैं.

फ़िल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने लिखा है, ” वैसे तो मैं क्रिएटिव आज़ादी का पक्षधर हूं. लेकिन मेरा प्रस्ताव है कि इस तरह के बेवकूफ़ कॉपीराइटर भारत जैसे धर्म निरपेक्ष देश में बैन हो जाने चाहिए जो यहां की गंगा-यमुना तहज़ीब से यमुना को अलग करना चाहते हैं.”

 

 

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