न्यूज़ डेस्क : बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत बनाने और ज्यादा ग्राहकों तक सुविधा पहुंचाने के लिए बड़ी एनबीएफसी को बैंक बनाने पर विचार चल रहा है। रिजर्व बैंक के आंतरिक कार्यकारी समूह ने शुक्रवार को सुझाव दिया कि 50 हजार से ज्यादा पूंजी वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसीज) को बैंक के रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
आरबीआई पैनल के अनुसार, 10 साल या उससे अधिक समय से सफलतापूर्वक संचालन करने वाली जो एनबीएफसी को बैंक बनाने पर विचार किया जा सकता है। इसमें कॉरपोरेट हाउस के स्वामित्व वाली एनबीएफसी भी शामिल की जा सकती हैं। केंद्रीय बैंक ने 12 जून, 2020 को इस समूह का गठन किया था और इसे निजी क्षेत्र के बैंकों के कॉरपोरेट ढांचे व स्वामित्व से संबंधित गाइडलाइंस की समीक्षा की जिम्मेदारी सौंपी थी।
आरबीआई ने शुक्रवार को समूह की रिपोर्ट सार्वजनिक की है। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि सिफारिशों पर अमल किया जाता है तो महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विस, बजाज फाइनेंस लिमिटेड, मुत्थूट फाइनेंस जैसी बड़ी एनबीएफसी को बैंक का दर्जा मिल सकता है।
नया बैंक खोलने के लिए लगानी होगी ज्यादा पूंजी
आरबीआई के पैनल ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र में जोखिम घटाने के लिए आरक्षित पूंजी की सीमा को बढ़ाया जाना चाहिए। इसके तहत नया यूनिवर्सल बैंक खोलने के लिए अब कम से कम 1,000 करोड़ रुपये की पूंजी होना जरूरी है। पहले यह सीमा महज 500 करोड़ रुपये थी। इसी तरह, स्मॉल फाइनेंस बैंक खोलने के लिए भी न्यूनतम पूंजी 200 करोड़ से बढ़ाकर 300 करोड़ रुपये कर दी गई है। पैनल ने निजी बैंकों के कामकाज में सुधार के लिए भी कई सिफारिशें की हैं।
निजी बैंकों में प्रवर्तकों की 26 फीसदी हिस्सेदारी संभव
आरबीआई पैनल निजी बैंकों में प्रवर्तकों की हिस्सेदारी बढ़ाने का भी सुझाव दिया है। पैनल ने कहा, निजी बैंकों के प्रवर्तकों की हिस्सेदारी को 15 वर्षों में 15 फीसदी से बढ़ाकर 26 फीसदी किया जा सकता है।
इतना ही नहीं बड़ी कंपनियों या इंडस्ट्रियल हाउस को भी बैंकिंग नियामक एक्ट 1949 में जरूरी बदलाव कर प्रवर्तक के रूप में शामिल करने का सुझाव दिया गया है। पैनल ने इन पर नजर रखने की व्यवस्था को और मजबूत बनाने की सिफारिश की है। खासतौर से बड़ी और कई कारबार में शामिल एनबीएफसी वाले कॉरपोरेट समूह की निगरानी की बात कही है।
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